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अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली लक्ष्मीबाई आज भी महिलाओं के लिए है आदर्श, जानिए उनके संघर्ष की दास्तान

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 19 Nov, 2022 12:12 PM
अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली लक्ष्मीबाई आज भी महिलाओं के लिए है आदर्श, जानिए उनके संघर्ष की दास्तान

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी...प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की लिखी गई ये कविता तो स्कूल में सभी ने पढ़ी होगी। ये कविता देश के युवाओं को देशभक्ति का जज़्बा देने का काम करती हैं। आज 19 नवंबर को नारी शक्ति को मिसाल देने वाली उसी रानी लक्ष्मीबाई की जंयती है। इन्होनें देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ बहुत ही साहस और पराक्रम से लड़ाई लड़ी। उन्हें झुकना मंजूर नहीं था और अपनी आखिरी सांस तक झांसी की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ती रही। आईए डालते हैं रानी लक्ष्मीबाई की जिंदगी पर एक नज़र।

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मणिकर्णिका था रानी लक्ष्मीबाई  का असल नाम

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को बनारस के एक मराठी ब्राहण परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका था। उन्होनें बचपन में ही शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा लेनी शुरु कर दी थी। लक्ष्मीबाई ने बचपन में नाना साहेब और तात्य टोपे से घुड़सवारी और तलवारबाजी के गुर सीखे। वहीं साल 1842 में  सिर्फ 12 साल की उम्र में रानी लक्ष्मीबाई की शादी झांसी के राजा नरेश गंगाधर राव नवलकर कर दी गई। शादी के बाद उन्हें रानी लक्ष्मीबाई का नाम मिला।  

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पति गंगाधर राव ने कुछ ही समय बाद छोड़ दिया था रानी लक्ष्मीबाई  का साथ

शादी के कुछ समय बाद उन्होनें राजकुवंर दामोदर राव को जन्म दिया, लेकिन उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टुट गया जब सिर्फ 6 महीने बाद उनके बच्चे का निधन हो गया। तब गंगाधर राव ने अपने छोटे भाई के बेटे को गोद ले लिया और उसका नाम रखा दिया दामोदर राव। लेकिन इसके बाद भी कभी रानी लक्ष्मीबाई को जिंदगी में और गम देखना बाकी था। कुछ समय बाद ही पति गंगाधर राव का स्वास्ठय खराब रहने लगा और उनका निधन हो गया। झांसी अब बिना किसी शासक के था जिसका फायदा अंग्रेजों ने उठाने की पूरी कोशिश की। 

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रानी लक्ष्मीबाई ने नहीं मानी अंग्रेजों के सामने हार

अंग्रेज झांसी को अपने कबजें में लेना चाहते थे और उन्होनें दामोदर राव को झांसी का वारिस मानने से इनकार कर दिया। लक्ष्मीबाई ने झांसी की बांगडोर अपने हाथों में ले ली और अंग्रेजों के सामने झुकने से साफ इंनकार कर दिया। सिर्फ 29 साल की उम्र में रानी लक्ष्मीबाई अपने छोटे से बच्चे को पीठ पर लगा के, अपनी सेना के साथ अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ती रही। 18 जून को रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी मातृभूमि की रक्षा करते-करते अपनी जान दे दी। उनकी वीरता आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन हुई है। 

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