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पिता राज कपूर से एक बात की नाराजगी रही सारी उम्र, अंतिम संस्कार पर भी नहीं मिटा पाए थे दूरियां!

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 09 Feb, 2021 06:22 PM
पिता राज कपूर से एक बात की नाराजगी रही सारी उम्र, अंतिम संस्कार पर भी नहीं मिटा पाए थे दूरियां!

साल 2021 के दूसरे महीने में कपूर खान से दुखद खबर सामने आई। कपूर खानदान में शोक की लहर दौड़ रही है क्योंकि करिश्मा-करीना कपूर के चाचा राजीव कपूर आज यानी 9 फरवरी को दुनिया को अलविदा कह गए। 58 वर्षीय राजीव का निधन हार्ट अटैक की वजह से हुआ। राजीव कपूर के निधन की खबर देते हुए भाई रणधीर कपूर ने लिखा-'मैंने अपने सबसे छोटे भाई राजीव को खो दिया है। वो अब नहीं रहा। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की लेकिन उसे बचा नहीं सके।' नीतू कपूर ने भी इंस्टा पोस्ट के जरिए दुख जाहिर किया। 

पिता से ताउम्र नाराज रहे राजीव कपूर 

बता दें कि राजीव कपूर अपनी पहली ही डेब्यू फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' से मशहूर हुए थे। राजीव कपूर बॉलीवुड के शो मैन राज कपूर के छोटे बेटे थे जिनका नीक नेम 'चिम्पू' रखा गया। राजीव कपूर ना केवल एक्टर बल्कि प्रोड्यूसर और डायरेक्टर भी थे। राजीव फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' में एक्ट्रेस मंदाकिनी के बोल्ड सीन से लाइमलाइट में आए थे। जिस मंदाकिनी की वजह से राजीव कपूर को स्टारडम मिला उसी की वजह से उनके पिता राजकपूर के साथ रिश्ते भी ताउम्र खराब रहे। एक्ट्रेस की वजह से राज कपूर और उनके बेटे राजीव के बीच इतनी कड़वड़ाहट आ गई थी कि पिता के अंतिम संस्कार में भी उन्होंने दूरिया बनाई रखी। 

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दरअसल, मधु जैन की किताब 'द कपूर्स' के मुताबिक, राज कपूर ने छोटे बेटे राजीव कपूर को 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म से लांच किया था लेकिन फिल्म राजीव कपूर की वजह से नहीं बल्कि झरने के नीचे नहाती हुई मंदाकिनी की वजह से हिट हुई। इस फिल्म से मंदाकिनी का पॉपुलैरिटी राजीव से ज्यादा बढ़ रही थी। जहां मंदाकिनी फेमस होती जा रही थी वहीं राजीव कपूर की अपने पिता से नाराजगी बढ़ती जा रही थी। 

राज कपूर ने राजीव को असिस्टेंट के तौर पर रखा

राजीव कपूर का मानना था इसके लिए राज कपूर जिम्मेदार हैं। राजीव कपूर चाहते थे कि राज कपूर 'राम तेरी गंगा मैली' के बाद उनके लिए एक और फिल्म बनाएं। वो उन्हें उस फिल्म में एक नायक की तरह प्रोजेक्ट करें ताकि उन्हें मंदाकिनी जितना स्टारडम मिले। मगर राजीव के चाहने के बावजूद भी राज कपूर ने ऐसा नहीं किया और उन्होंने राजीव को एक असिस्टेंट के तौर पर रखा। राज कपूर राजीव से यूनिट का वो सारा काम करवाते थे जो एक स्पॉटब्वॉय और असिस्टेंट करता था। राजीव ने इस फिल्म के बाद 'लवर ब्वॉय', 'अंगारे', 'जलजला', 'शुक्रिया', 'हम तो चले परदेस' जैसी फिल्मों में तो की लेकिन हिट नहीं हुई क्योंकि ये फिल्में आरके बैनर की नहीं थीं। 

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पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं गए थे राजीव

राजीव अपने पिता राज कपूर से ताउम्र इस बात को लेकर चिढ़ते रहे कि पापा ने उन्हें लेकर कोई फिल्म क्यों नहीं बनाई, उन्हें असिस्टेंट बना कर क्यों रखा है। खबरों के मुताबिक, राजीव कपूर अपने पिता से इतने नाराज थे कि उनके निधन के बाद अंतिम संस्कार में भी नहीं गए थे। यही नहीं कपूर परिवार से अलग  तीन दिनों तक शराब के नशे में चूर रहे।

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इसके बाद उन्होंने फिल्म डायरेक्शन में हाथ आजमाया। साल 2000 के बाद फिल्मी दुनिया से पूरी तरह से दूरी बनाने का फैसला कर लिया। बात पर्सनल लाइफ की करें तो उन्होंने साल 2001 में आर्किटैक्ट आरती सभरवाल से शादी की। 

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