पूरी दुनिया में 'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर भारत के महान धावक मिल्खा सिंह ने कल रात 18 जून को चंड़ीगढ़ के पीजीआई में अंतिम सांस ली। मिल्खा सिंह का 91 साल की उम्र में देहांत हुआ वह लंबे समय से कोरोना से संक्रमित थे वहीं पांच दिन पहले ही मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर का भी देहांत हो गया था। 'फ्लाइंग सिख' के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर मिल्खा सिंह का जीवन बेहद संघर्षों से भरा रहा।
बंटवारे के समय मिल्खा सिंह के 8 भाई-बहन और माता-पिता को उतार दिया था मौत के घाट-
मिल्खा सिंह का जन्म भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले 20 नवंबर, 1929 को पाकिस्तान में हुआ था। तब उनका गांव गोविंदपुरा मुजफ्फरगढ़ जिले में पड़ता था। राजपूत परिवार में जन्म लेने वाले मिल्खा सिंह के परिवार में माता- पिता के अलावा कुल 12 भाई- बहन थे, लेकिन देश के बंटवारे के समय उनके परिवार ने जो कष्ट झेला वो बेहद डरावना और भयावह था। पूरा परिवार इस त्रासदी का शिकार हो गया और इस दौरान उनके आठ-भाई बहन और माता-पिता को मौत के घाट उतार दिया गया था।
मिल्खा सिंह के इस एक फैसले ने उनकी पूरी जिंदगी बदली
विभाजन के समय मिल्खा सिंह किसी तरह अपनी जान बचाने मं कामयाब हुआ और परिवार के जिंदा बचे अन्य तीन लोगों के साथ भागकर भारत पहुंचे। भारत पहुंचने के बाद मिल्खा सिंह ने सेना में शामिल होने का फैसला किया और 1951 में वह सेना में शामिल हो गए। मिल्खा सिंह के इस एक फैसले ने उनकी पूरी जिंदगी बदली थी। सेना में शामिल होने के बाद मिल्खा सिंह कामयाबी की तरफ बढ़ते गए और अंत में वह एक महान धावक बने। उन्होंने तब सुर्खियां बंटोरी जब एक रेस में उन्होंने 394 सैनिकों को हरा दिया था। 1958 में मिल्खा सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला गोल्ड मेडल जीत भारत का नाम उंचा किया।
रोम ओलंपिक और टोक्यो ओलंपिक में भारत का नाम उंचा किया-
मिल्खा सिंह ने 1956 में मेलबर्न ओलंपिक, 1960 में रोम ओलंपिक और 1964 में टोक्यो ओलंपिक में भारत की अगुवाई की। 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और चार गुना 400 मीटर रिले दौड़ में भी शानदार प्रदर्शन किया और गोल्ड मेडल जीता।
चलती ट्रेन के लिए पीछे दौड़ लगाते थे मिल्खा सिंह -
करियर की शुरूआत में प्रैक्टिस के दौरान मिल्खा सिंह चलती ट्रेन के लिए पीछे दौड़ लगाते थे और इस दौरान वह कई बार चोटिल भी हुए थे।
मिल्खा सिंह सबसे दुनिया में उस समय लोकप्रिय हुए जब उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में 45.6 सेकंड का समय निकालकर चौथा स्थान हासिल किया था। वहीं 1959 में मिल्खा सिंह को पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया।
मिल्खा सिंह का परिवार
मिल्खा सिंह के परिवार में तीन बेटियां और एक बेटा है। जिनमें से एक बेटी डॉ. मोना सिंह, अलीजा ग्रोवर और सोनिया सांवल्का और बेटा जीव मिल्खा सिंह हैं जो कि मशहूर गोल्फर है। वह 14 बार के अंतरराष्ट्रीय विजेता हैं उन्हें भी पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानिक किया जा चुका है।