09 OCTWEDNESDAY2024 11:56:32 AM
Nari

क्या आप जानते हैं  'या देवी सर्वभूतेषु...' का मतलब, यहां इसका अर्थ जानिए विस्तार से

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 09 Oct, 2024 08:55 AM
क्या आप जानते हैं  'या देवी सर्वभूतेषु...' का मतलब, यहां इसका अर्थ जानिए विस्तार से

नारी डेस्क: ' या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ' दुर्गा शप्तसती का यह मंत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर  घरों और मंदिरों में गूंज रहा है। यह एक प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक है, जो दुर्गा सप्तशती में आता है और मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन करता है। इसका अर्थ देवी के सर्वव्यापी रूप और उनकी उपस्थिति को दर्शाता है।  चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से। 

PunjabKesari

 श्लोक


**या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।  
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥**

अर्थ

या देवी सर्वभूतेषु: वह देवी, जो सभी प्राणियों में निवास करती हैं।
चेतनेत्यभिधीयते: जिन्हें चेतना (सभी जीवों की आत्मिक शक्ति और जीवन शक्ति) के रूप में जाना जाता है।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: उन देवी को बार-बार प्रणाम है, बार-बार प्रणाम है, बार-बार प्रणाम है।

PunjabKesari

मां दुर्गा के अन्य स्तुति मंत्र और अर्थ

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अर्थ:  देवी जो समस्त प्राणियों में विष्णुमाया कहलाती हैं, उनको मेरा बारंबार नमस्कार है।


'या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥' 

अर्थ:  जिसके मन में दया भाव है, वह दया भाव कण-कण में विद्यमान देवी की ही प्रति छाया है। जहां जहां दया भाव प्रकट होती है, वहां वहां वह देवी दया की प्रतिमूर्ति के रूप में विद्यमान है । उस दयावान देवी को बारंबार नमस्कार है । 


या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥' 

 
अर्थ: कण कण में विद्यमान वही देवी सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में विद्यमान है। जिसके मन में दया का भाव है, शमा का भाव है, शांति का भाव है  सहनशीलता का गुण विद्यमान है। 

PunjabKesari
व्याख्या

इन श्लोकों  में मां दुर्गा को सभी जीवों की आत्मा और चेतना के रूप में मान्यता दी गई है। यह बताते हैं कि देवी दुर्गा न केवल बाहरी शक्तियों और प्राकृतिक शक्तियों का प्रतीक हैं, बल्कि वह प्रत्येक जीव की आंतरिक चेतना के रूप में भी विद्यमान हैं। इस श्लोक में भक्त देवी को नमस्कार करते हुए उनकी सर्वव्यापकता की सराहना करते हैं और यह मानते हैं कि देवी हर स्थान और प्रत्येक प्राणी में विराजमान हैं।
यह श्लोक "दुर्गा सप्तशती" के अन्य श्लोकों के साथ मां दुर्गा के विभिन्न रूपों और कार्यों की महिमा करता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि देवी दुर्गा जीवन के हर पहलू में उपस्थित हैं-चेतना, ज्ञान, शक्ति, धैर्य, प्रेम और करुणा के रूप में।

Related News