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नवरात्रि में तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, जानिए मंत्र और पौराणिक कथा

  • Edited By palak,
  • Updated: 27 Sep, 2022 12:08 PM
नवरात्रि में तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, जानिए मंत्र और पौराणिक कथा

शारदीय नवरात्रों का आरंभ हो चुका है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां का तीसरा रुप यानी की चंद्रघंटा पापियों का नाश करने के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां भक्तों के दुखों को दूर करती है, इसलिए मां के हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा और धनुष विराजमान होता है। मां की उत्पत्ति धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए हुई थी। नवरात्रि के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की क्या विधि है और आप मां के कैसे प्रसन्न कर सकते हैं। चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं...

ऐसा होता है मां का स्वरुप 

मां चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के जैसे चमकीला, 3 नेत्र और 10 हाथ हैं। अग्नि जैसे वर्ण वाली मां चंद्रघंटा ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं। सिंह की सवारी पर सवार मां की 10 भुजाओं में कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशुल, खड्ग, खप्पर, चक्र आदि शस्त्र सुशोभित होते हैं। माथे पर बना चांद मां की पहचान है इसलिए मां को चंद्रघंटा कहते हैं। चंद्रघंटा को स्वर की देवी भी कहते हैं। 

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मां चंद्रघंटा की जन्म कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस महिषासुर ने अपनी शक्तियों के घमंड में देवलोक पर आक्रमण कर दिया था। तब महिषासुर और देवताओं के बीच घमासान युद्ध हुआ था। इसके बाद देवता जब महिषासुर से हारने लगे तो वह सब त्रिदेव के पास मदद के लिए पहुंचे। देवताओं की बात सुनकर त्रिदेव को गुस्सा आ गया। जिसके बाद मां चंद्रघंटा का जन्म हुआ। भगवान शंकर ने माता को अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने मां को चक्र, देवराज इंद्र ने घंटा, सूर्य ने तेज तलवार और सवारी के लिए मां को सिंह प्रदान किया। इसी तरह अन्य देवी देवताओं ने मां को अस्त्र दिए, जिसके बाद मां ने राक्षस का वध किया। देवी पुराण के मुताबिक, जब भगवान शिव राज हिमवान के महल में पार्वती से शादी करने पहुंचे तो उनके बालों में कई सांप, भूत,ऋषि, भूत, अघोरी और तपस्वियों की एक अजीब शादी के जुलूस के साथ एक भयानक रुप में आए। भगवान शिव का यह रुप देख मां मैना देवी बेहोश हो गई। जिसके बाद देवी पार्वती ने मां चंद्रघंटा का रुप धारण किया। इसके बाद दोनों की शादी हो गई। 

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कैसे करें मां को प्रसन्न? 

देवी मां को आप कमल या शंख पुष्पी  फूल अर्पित करें। इसके साथ फल के रुप में लाल सेब मां को अर्पित करें। भोग चढ़ाने के दौरान और मंत्र पढ़ते समय मंदिर की घंटी जरुर बजाएं। मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा में घंटे का बहुत ही महत्व है। घंटे की ध्वनि ने मां चंद्रघंटा अपने भक्तों पर हमेशा अपनी कृपा बरसाती हैं। प्रसाद के रुप में आप मां तो दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगा सकते हैं। 

मां चंद्रघंटा का स्त्रोत पाठ 

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्ति: शुभपराम्। अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघंटा प्रणमाभ्यम्। चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरुपणीम्। धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्। नानारुपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।  सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्। 

मां चंद्रघंटा का मंत्र 

मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र ऐ श्रीं शक्तयै नम: का जाप करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। पिंडजप्रवराराढू़, चंडकोपास्त्रकैर्युता। प्रसांद तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता। 

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