06 DECSATURDAY2025 3:31:29 AM
Nari

इस मंदिर में शिवलिंग की नहीं भोलेनाथ के अंगूठे की होती है पूजा!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 13 Nov, 2025 03:44 PM
इस मंदिर में शिवलिंग की नहीं भोलेनाथ के अंगूठे की होती है पूजा!

नारी डेस्क:  भगवान शिव के भारत में कई सारे मंदिर हैं, जिनका दर्शन भर करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं। इन्हीं में से एक है अचलेश्वर महादेव का चमत्कारी मंदिर है , यहां पर भक्त की पूजा से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। ये माउंट आबू से करीब 11 किलोमीटर दूरी पर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर बसा ये प्राचीन मंदिर है । कहते हैं यहां उनके पैर के दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का रहस्य....

PunjabKesari

चमत्कारी है अचलेश्वक मंदिर

माउंट आबू की पहाड़ियों के पास अचलेश्वर मंदिर में भगवान शिवजी के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। यह पहली जगह है जहां भगवान शिव या शिवलिंग की पूजा नहीं होती है, बल्कि उनके पैर के अंगूठे की पूजा होती है। ये प्राचीन मंदिर बहुत चमत्कारी है और लोगों में काफी प्रसिद्ध है।

अंगूठे के कारण ही टीके हैं पर्वत

ऐसी मान्यता है कि यहां पर स्थित पर्वत भगवान शिव के कारण ही टीके हुए हैं। अगर आप भगवान शिव का ये अंगूठ न होता तो ये पर्वत नष्ट हो जाते। भगवान शिव के अंगूठों को लेकर भी कई तरह के चमत्कार हो चुके है, जिनकी चर्चा आप यहां के लोगों से सुन लेंगे।

PunjabKesari

अंगूठे के नीचे है गड्ढा

अचलेश्वर मंदिर में बने भगवान शिव के अंगूठे के नीचे एक गड्ढा है। इसे लेकर ऐसी मान्यता है कि इसमें कभी भी पानी नहीं भरता। इसमें चाहे कितना भी पानी भर लिया जाए, लेकिन जल वहां नहीं रुकता। इतना ही नहीं, शिवजी पर चढ़ने वाला जल भी कभी यहां नजर नहीं आता। ये जल कहां जाता है इस बात का आज तक किसी को नहीं पता चला।

PunjabKesari

अंगूठे को लेकर ये है पौराणिक कथा

भोलेनाथ के अचलेश्वर मंदिर को लेकर पौराणिक कथा के हिसाब से एक बार हिमालय पर्वत पर भगवान शिव तपस्या कर रहे थे। उस दौरान अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन हिलने लगा, जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। इस पर्वत पर भगवान शिव की नंदी भी थी। नंदी को बचाने के लिए भगवान शिव ने हिमालय पर्वत से ही अपने अंगूठे को अर्बुद पर्वत तक पहुंचा दिया। पैर का अगूंठा लगाते ही अर्बद पर्वत हिलने से रुक गया और स्थिर हो गया। तब से ही भगवान शिव के पैर का ये अंगूठा इस पर्वत को उठाए हुए है।

Related News