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श्री सत्य साईं पुण्यतिथि: जन्म से लेकर समाधि तक चमत्कारों से भरा रहा सत्य साईं का जीवन

  • Edited By Bhawna sharma,
  • Updated: 24 Apr, 2021 02:39 PM
श्री सत्य साईं पुण्यतिथि: जन्म से लेकर समाधि तक चमत्कारों से भरा रहा सत्य साईं का जीवन

देशभर में श्री सत्य साईं बाबा के करोड़ों की संख्या में अनुयायी भक्त हैं। जिनमें सेलेब्रिटी से लेकर राजनीतिज्ञ, बड़े औद्योगकार और बुद्धिजीवी शामिल हैं। बाबा क शहरों व गांवों में कई संगठन भी हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोग भी सत्य साईं बाबा में बहुत आस्था रखते हैं। बता दें कि आज विश्व के 148 देशों में सत्य साईं केंद्र स्थापित हैं।

कई चमत्कार करने वाले श्री सत्य साईं बाबा  24 अप्रैल, 2011 के दिन महासमाधि पर चले गए थे। तो चलिए जानते हैं कौन थे श्री सत्य साईं बाबा और उनके चमत्कार... 

सत्य साईं का जन्म

सत्य साईं बाबा के बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवम्बर 1926 को हुआ था। बाबा को प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु शिरडी के साईं बाबा का अवतार माना जाता है। वे अपने माता-पिता की 8वीं संतान थे। कहा जाता है जिस दिन सत्य साईं का जन्म हुआ उनके घर में पड़े सभी वाद्ययंत्र अपने आप बजने लगे थे। रहस्यमस रुप से निकला एक खतरनाक सांप फन निकालकर उनके ऊपर छाया करने लगा। 

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शिरडी साईं बाबा का अवतार है सत्य साईं

सत्य साईं बचपन से ही बहुगुणी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने 8 साल की उम्र में सुदंर भजनों की रचना करने लगे थे। 23 मई 1940 में जब सत्य साईं 14 साल के थे तो उन्होंने अपने अवतार होने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, मैं शिवशक्ति स्वरूप, शिरडी साईं का अवतार हूं। उन्होंने महज 14 साल की उम्र में अपना सारा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। 

श्लोक व मंत्रों का उच्चारण करके बिताया समय

सत्य साईं जब हाईस्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी उन्हें एक बिच्छू ने काट लिया था। जिसके बाद वह कोमा में चले गए थे। जब वह कोमा से बाहर आए तो उनका आचरण कुछ अजीब सा हो गया था। यहां तक कि उन्होंने खाना-पीना भी छोड़ दिया था। वे श्लोक व मंत्रों का उच्चारण करके ही अपना सारा समय व्यतित करते थे। 

देश-विदेश में स्थापित साम्राज्य

सत्य साईं के सभी धर्मों के लोग शिष्य थे। जब भी उनके भक्त उन्हें सच्चे मन से याद करते थे तो उनकी तस्वीर से खुद ही भभूत निकलने लगती थी। उनके देश ही नहीं बल्कि विदेश में विशाल साम्राज्य स्थापित है। उन्होंने 178 देशों में धर्म प्रचार के कंद्र बनाएं। उन्होंने लोगों को संदेश दिया- आपस में सब प्रेम करो, सबकी सहायता करो और किसी का बुरा मत करो। 

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साईं के चमत्कार 

अपने जीवनकाल में बाबा ने कई चमत्कार किए। जैसे भक्तों के बीच विभूति बरसाना, शिवरात्रि के मौके पर सोने और पारद के शिवलिंग अपने मुंह से निकालना, हथेली से अंगूठी या सोने की चैन को प्रकट करना आदि। साईं के भक्तों के घर में उनके चरणों के चित्रों की पूजा होती है। जिनमें एक चरण पुरूष का और दूसरा नारी के समान दिखता है। 

सत्य साईं ने दी ये सेवाएं

अपने जीवन काल में बाबा ने कई शिक्षण संस्थाएं , अस्पताल और मानव सेवा के कामों में सहयोग दिया। प्रशांति निलयम में स्तय साईं का अस्पताल और रिसर्च सेंटर लगभग 200 एकड़ की भूमी में फैला हुआ है। श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंस बेंगलुरू में गरीबों को बिस्तर उपलब्ध करवाए जाते हैं। सत्य साईं बाबा ने भारत में तीन मंदिर भी स्थापित किये, जिनमें मुंबई में धर्मक्षेत्र, हैदराबाद में शिवम और चेन्नई में सुंदरम है। इनके अलावा दुनियाभर के 114 देशों में सत्य साई केंद्र स्थित हैं।

इच्छा अनुसार दी गई सत्य साईं को समाधि 

बाबा को 28 मार्च 2011 को सांस में तकलीफ के चलते अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। पहले उनके फेंफड़ों में तकलीफ रही और दिन ब दिन उनकी हालत बिगड़ती गई। उनके सभी आंतरिक अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। आखिरकार उन्होंने 24 अप्रैल, 2011 के दिन आखिरी सांस ली। सत्य साईं बाबा को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पुट्टपर्ति में उनके प्रशांति निलयम आश्रम में समाधि दे दी गई थी। बाबा को दफनाने का फैसला उनकी इस इच्छा अनुसार किया गया कि उन्हें भी शिर्डी के साईं बाबा की तरह ही दफनाया जाए। 

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