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...तो इसलिए प्रिय है महादेव को बेलपत्र, सेहत को भी मिलता है फायदा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 10 Mar, 2021 12:53 PM
...तो इसलिए प्रिय है महादेव को बेलपत्र, सेहत को भी मिलता है फायदा

भगवान शिव भक्तों द्वारा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं। शायद इसी लिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। इसी के साथ सच्चे मन से उन्हें बेल पत्र चढ़ाने से भी जीवन की परेशानियां दूर होकर सुख-समृद्धि व शांति का वास होता है। मगर क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान शिव बेलपत्र से अधिक खुश क्यों होते हैं, तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की रोचक कथा।

बेलपत्र से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान वहां से अमृत के साथ हलाहल नामक जहर भी निकला था। उसका असर इतना गहरा था कि उसके फैलने से पूरी सृष्टि का विनाश हो सकता है। ऐसे में इस विनाश को रोकने व सभी की जान बचाने के लिए भगवान शिव ने इसका सेवन करके अपने कंठ में रोका था। मगर हलाहल के प्रभाल के कारण उन्हें गले में असहनीय जलन का सामना करना पड़ा था। इसी के साथ उनका कंठ नीला भी पड़ गया था। ऐसे में देवी-देवताओं द्वारा महादेव को बेलपत्र का सेवन करवाया गया। साथ ही उनके सिर पर ठंडा जल अर्पित किया। इसे खाने से विष का असर कम होने के साथ जलन कम करने में सहायता मिली। ऐसे में उसी दिन से महादेव को बेलपत्र व जल चढ़ाने की प्रथा शुरु की गई। साथ ही गले में हलाहल होने से उनका कंठ नीला पड़ गया। ऐसे में भक्त शिव जी को नीलकंठ पुकारने लगे।  

शिव जी को बेलपत्र चढ़ाने के कुछ नियम

- हमेशा 3 पत्तियों वाली बेलपत्र चढ़ाएं।

- कोई भी पत्ता खराब व फटा ना हो। 

- सोमवार का दिन भगवान शिव का होता है। ऐसे में इस दिन बेलपत्र ना तोड़ें। इसे हमेशा एक दिन पहले यानी रविवार को ही तोड़ कर रखना सही रहेगा। इसके अलावा चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी व अमावस्या को भी इसे ना तोडे़ं। 

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- बेलपत्र हमेशा शुद्ध रहते हैं। ऐसे में आप पहले से चढ़ाया गया बेलपत्र धोकर दोबारा उसे शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। 

- इसे हमेशा शिवलिंग पर उल्टा चढ़ाएं। इसका मतलब है कि चिकनी चिकनी सतह वाला हिस्सा शिवलिंग को छूना चाहिए। 

- इसे हमेशा अपनी अनामिका, मध्यमा उंगली व अंगूठे से स्पर्श करते हुए अर्पित करें। 

इससे जीवन की समस्याएं दूर होकर मनोकामना पूरी होती है। 

 

बेलपत्र के सेवन से शिवजी के गले में होने वाली जलन शांत हो गई थी। ऐसे में इसके सेवन से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके फायदों के बारे में...

 

स्वस्थ लिवर

बेल में मौजूद थाइमिन और राइबोफ्लेविन जैसे विटामिन, बीटा-कैरोटीन आदि तत्व लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। 

किडनी के लिए फायदेमंद

पोषक व एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर बेल किडनी की सफाई करने में मदद करता है। इससे शरीर में मौजूद गंदगी बाहर निकलने में मदद मिलती है। ऐसे में इसका जूस पीने से किडनी हैल्दी रहती है। 

दिल की बीमारियां रहेगी दूर

बेल के फल का रस निकाल कर इसे घी में मिलाकर पीने से दिल स्वस्थ रहता है। ऐसे में इससे जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कई गुणा कम रहता है। 

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मुंह के छाले होंगे दूर 

बेल का गूदा निकालकर पानी में उबालें। तैयार पानी से कुल्ला करने से मुंह के छाले व मसूड़ों की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। 

खून बढ़ाएं

1 चम्मच सूखे बेल की गिरी का पाउडर में मिश्री मिलाएं। फिर इसे गुनगुने दूध में मिलाकर सेवन करें। इससे खून की कमी दूर होकर थकान, कमजोरी दूर होने में मदद मिलेगी। 

डायरिया से करें बचाव

गर्मी के दिनों में अक्सर लोगों खासतौर पर बच्चों को डायरिया की समस्या होती है। ऐसे में बेल के गूदे को पानी व चीनी के साथ मिलाकर पीने से फायदा मिलता है। इससे पाचन तंत्र दुरुस्त होने से अपच, एसिडिटी, उल्टी-दस्त, जी मिचलाना आदि परेशानियों से लाभ मिलता है। साथ ही अंदर से ठंडक का अहसास होता है। 

लू से रहेगा बचाव 

गर्मियों में लू लगने की परेशानी अधिक होती है। ऐसे में बेल के ताजे पत्तों को पीसकर मेहंदी की तरह पैर के तलवों पर लगाने से लाभ मिलता है। इससे सिर, छाती व हाथ की भी मसाज की जा सकती है। इसके अलावा बेल का शर्बत बनाकर मिश्री के साथ मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है। 

तनाव को रखे दूर

बेलपत्र की पत्तियां चबाने से तनाव दूर होता है। आप चाहे तो 1 गिलास बेल का शरबत भी पी सकते हैं।

कफ, वात्त को करे शांत

बेलपत्र की तासीर गर्म होने के कारण इससे कफ, वात शांत होते है। इससे आप सर्दी-खांसी, गले में खराश, जुकाम और बुखार से बचे रहते हैं।

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सांस संबंधी समस्याएं

सांस संबंधी समस्याएं रहती हैं तो बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीएं। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।

आंखों की चुभन करे दूर

बेल के पत्तों का रस निकालकर छान लें। इसकी 1-2 बूंद आंखों में डालने से खुलजी, जलन ठीक हो जाएगी।


 

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