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मथुरा-वृन्दावन में दो दिन रहेगी जन्माष्टमी, ग्रहस्थ लोग बस इतनी देर ही कर सकेंगे श्रीकृष्ण की पूजा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 26 Aug, 2024 08:53 AM
मथुरा-वृन्दावन में दो दिन रहेगी जन्माष्टमी, ग्रहस्थ लोग बस इतनी देर ही कर सकेंगे श्रीकृष्ण की पूजा

नारी डेस्क:  भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की धूम आज देश भर में देखने को मिल रही है। इस दिन भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मथुरा में जहां आज यह पर्व मनाया जाएगा तो वहीं वृंदावन स्थित बांकेबिहारी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 27 अगस्त यानी कि कल मनाया जाएगा। रात 2 बजे मंगला आरती की जाएगी। दोनों ही स्थान भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े हुए हैं, लेकिन इनकी पूजा विधि और परंपराओं में थोड़ा अंतर है। 

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 भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार (कंस के बंदीगृह) में हुआ था। इसलिए, मथुरा में जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।  इस दिन मथुरा में आधी रात को विशेष पूजा, भजन, और कीर्तन होते हैं, क्योंकि मान्यता है कि भगवान कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे हुआ था। वृंदावन, जो व्रज मंडल का हिस्सा है, भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का स्थान है। कृष्ण जन्म के अगले दिन, वहां नंदोत्सव (नंद बाबा का उत्सव) मनाया जाता है, जो उनके जन्म के उपलक्ष्य में है। 

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वृंदावन में कृष्ण जन्म के एक दिन बाद जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। इसे नंदोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में विभिन्न उत्सवों का आयोजन होता है। वहीं बांकेबिहारी मंदिर में  रात में 12 बजें गोपाल जी का अभिषेक पंचामृत से किया जाएगा। भगवान का अभिषेक 2 घंटे तक चलता है। इसके बाद मंगला आरती की जाएगी जो साल में एक बार ही होती है। 


कृष्ण जन्माष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त

ज्योतिष गणना के अनुसार यह भगवान श्रीकष्ण का 5251वां जन्मोत्सव है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 25 अगस्त, 2024 दिन रविवार को रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 26 अगस्त, 2024 दिन सोमवार को रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।  ग्रहस्थ लोग आज ही जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे. आज श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12.00 बजे से 12.44 बजे तक रहेगा. यानी पूजा के लिए आपके पास सिर्फ  44 मिनट का समय मिलने वाला है 

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चंद्रमा के अनुसार दिन का निर्धारण

हिंदू कैलेंडर में तिथि चंद्रमा के आधार पर निर्धारित होती है। कभी-कभी मथुरा और वृंदावन में चंद्रमा के समय में थोड़ा अंतर होता है, जिसके कारण तिथि का अंतर पड़ता है। मथुरा में उपवास और पूजा का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिसमें मध्यरात्रि में कृष्ण के जन्म के समय विशेष आरती और पूजा होती है। 

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वृंदावन में नंदोत्सव के दिन विशेष उत्सव और भोग की व्यवस्था होती है, जिसमें बाल कृष्ण की पूजा, झूला झुलाने की परंपरा, और नंद बाबा के आशीर्वाद की कामना की जाती है। इस प्रकार, मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी का उत्सव अलग-अलग दिन मनाने के पीछे धार्मिक परंपराएं, तिथि का निर्धारण और कृष्ण की बाल लीलाओं के प्रति भक्ति भाव का अंतर मुख्य कारण है।

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