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कुत्तों के लिए शेल्टर होम क्यों जरूरी? अंदर तक झकझोर देगी, राजेश-बृजेश की कहानी

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 13 Aug, 2025 03:03 PM
कुत्तों के लिए शेल्टर होम क्यों जरूरी? अंदर तक झकझोर देगी, राजेश-बृजेश की कहानी

नारी डेस्क:  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रेबीज एक गंभीर वायरल बीमारी है जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है। इस बीमारी के लक्षण दिखना शुरू होते ही यह 100% घातक हो जाती है। यानी अगर किसी को रेबीज हो जाए, तो उसकी मौत लगभग तय समझी जाती है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का निर्देश

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते आवारा कुत्तों के कारण कई बार रेबीज के मामले सामने आ रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा कदम उठाते हुए आदेश दिया है कि दिल्ली के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाए। कोर्ट ने खासतौर पर यह निर्देश दिया है कि कुत्ते दोबारा गलियों या सड़कों पर नहीं लौटें। रेबीज बीमारी की गंभीरता को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल के अनुसार, दिल्ली में हर दिन करीब 2,000 कुत्तों के काटने के मामले दर्ज होते हैं। अगर एनसीआर क्षेत्र को भी शामिल करें तो यह संख्या लगभग 5,000 तक पहुंच जाती है।

कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं

इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कुत्तों के काटने के मामले 2022 में 6,691 थे, जो 2024 में बढ़कर 25,000 से ऊपर पहुंच गए हैं। यह समस्या कितनी गंभीर है, इसे दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत भी हुआ है और कुछ लोग इससे निराश भी हुए हैं।

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रेबीज से हर साल लाखों लोग प्रभावित

रिपोर्ट के अनुसार, हर साल दिल्ली में करीब 1 लाख लोग कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं। केवल तीन बड़े सरकारी अस्पतालों में 91,000 से ज्यादा मामले सामने आते हैं। सफदरजंग अस्पताल में रोजाना 700-800 लोग रेबीज का टीका लगवाने आते हैं।

रेबीज से हुई राजेश-बृजेश की दर्दनाक मौत

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के 22 वर्षीय स्टेट-लेवल कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की भी रेबीज से मौत हो गई थी। वह एक आवारा पिल्ले को बचाने की कोशिश कर रहे थे, तभी पिल्ले ने उन्हें काट लिया। उन्होंने मामूली चोट समझकर समय पर टीका नहीं लगवाया। कुछ दिनों बाद उन्हें पानी से डर, बेचैनी और उलझन जैसे लक्षण दिखने लगे, और उनका व्यवहार भी कुत्ते जैसा हो गया। अंत में उनकी मौत हो गई।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बृजेश समय रहते रेबीज का टीका लगवा लेते, तो उनकी जान बच सकती थी। कुत्ते के काटने के बाद बुखार, पानी से डर, बेचैनी जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज आवश्यक है। रेबीज एक पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली बीमारी है, बशर्ते समय पर उचित इलाज मिले।

नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी दवा या इलाज के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

  

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