थायराइड आज के समय में बहुत ही आम सुनने वाला रोग है। महिलाएं इसकी ज्यादा शिकार हैं हालांकि यह समस्या पुरुषों को भी हो सकती है। जब यह रोग होता है मरीज का वजन या तो बहुत तेजी से बढ़ने लगता है या कम होने... इसे साइलेंट किलर भी माना जाता है क्योंकि इसके बाद बाकी बीमारियां भी धीरे-धीरे उजागर होने लगती है। यह रोग हार्मोन्स गड़बड़ी से जुड़ा है। हमारे गले में तितली जैसे आकृति की एक ग्रंथि ग्लैंड थाइरॉक्सिन हॉर्मोन बनाती है और यही हार्मोन बॉडी का एनर्जी लेवल, हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, मूड और मेटाबॉलिज्म को मेंटेन करता है। जब यहीं हार्मोन गड़बड़ा जाता है तो हार्मोन का प्रोडक्शन कम या ज्यादा होता है तो कई स्वास्थ संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।
अब जानिए इस रोग के होने के कारण क्या है ...
. ज्यादा टेंशन और तनाव में रहने के चलते
. आयोडीन की मात्रा शरीर में ज्यादा या कम होने के चलते
. प्रैगनेंसी के दौरान भी कई बार यह असंतुलन हो जाता है क्योंकि उस दौरान महिलाओं के हार्मोन्स अंसतुलित होते ही रहते हैं
. इसके अलावा यह रोग आनुवांशिक भी है यानि की अगर परिवार में पहले किसी को हैं तो दूसरे को भी हो सकता है।
दो तरह के होते हैं थायराइड
थाइयराइड दो तरह का होता है एक हाइपरथाइरॉयडिज्म और दूसरा हाइपोथाइरॉयडिज्म।
1. हाइपर थाइरायड में मेटाबॉलिज्म बढ़ने लगता है जिससे हर काम तेजी से होने लगता है। व्यक्ति को घबराहट, चिड़चिड़ापन, ज्यादा पसीना आने, बालों पतले सूखे और झड़ने, नींद ना आने की परेशानी, हड्डियों व मांसपेशियों में कमजोरी, पीरियड्स आगे पीछे आने की समस्या होने लगती हैं।
2. जबकि हाइपो थायराइड में मेटाबॉलिज्मम स्लो होने लगता है। महिलाएं इसकी ज्यादा शिकार होती हैं। इससे शरीर के सारे काम भी स्लो हो जाते हैं। धड़कन स्लो हो जाती है, शरीर थका-थका रहता है, डिप्रैशन, नाखून कच्चे होकर टूटना, पसीना नहीं आना, जोड़ व मांसपेशियों में अकड़न, बाल झड़ने शुरू हो जाते हैं। वजन बढ़ने लगता है। पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। 28 दिन का साइकिल 40 या उससे ज्यादा दिनों का हो जाता है। आंखों और चेहरे पर सूजन। खून में कोलेस्ट्राल का लेवल बढ़ जाता है। और महिला को बांझपन की समस्या हो सकती हैं।
खान-पान पर निर्भर करता है बीमारी को कंट्रोल करना
थायराइड के मरीजों को अपने खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है। भले ही आप डाक्टर की बताई दवा का सेवन कर रहे होते हैं लेकिन खान-पान सही रखना सबसे जरूरी है। सोया प्रोडक्ट्स , काफी, ऑयली और फैटी खाना, मीठा, ब्रोकली, सीफूड, रिफाइंड फ़ूड, रेड मीट, अल्कोहल का सेवन ना करें।
देसी इलाज थायराइड को कंट्रोल करने में बेहद मददगार साबित हो सकते हैं।
ऑवला चूर्ण और शहद
सुबह खाली पेट एक चम्मच शहद में 5-10 ग्राम ऑवला चूर्ण मिक्स करके खाएं।रात को खाना खाने के 2 घंटे बाद एक बार ऐसे ही सेवन करें।
त्रिफला चूर्ण
रोज एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह बहुत फायदेमंद होता है।
तुलसी और एलोवेरा
दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिला कर पीएं।
हल्दी वाला दूध
रोज दूध में हल्दी मिलाकर पीने से फर्क दिखेगा। साथ ही इससे इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा।
लौकी का जूस
खाली पेट लौकी का जूस पीने से भी थायराइड रोग में कंट्रोल में रहता है।
दूध और दही
दूध और दही ज्यादा खाएं, इसमें मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड कंट्रोल में रखने में मदद करता है।
मुलेठी
थायराइड मरीजों के लिए मुलेठी वरदान है क्योंकि उन्हें बड़ी जल्दी थकान होने लगती है और मुलेठी थकान को उर्जा में बदलने का काम करती है। मुलेठी थायराइड में कैंसर बढ़ने से भी रोकता है।
इसके अलावा लाइफस्टाइल हैल्दी रखें। तनाव से जितना हो सके दूर रहें। योग में सूर्य नमस्करा, सर्वागासन, उष्ट्रासन,हलासन,भुजंगासन करें। जब लाइफस्टाइल हैल्दी होगा तो बीमारियां खुद-ब-खुद कंट्रोल में रहेगी।