घरेलू हिंसा को कुछ औरतें अपनी किस्मत मान कर सारी जिंदगी परेशानी झेलती रहती हैं। वहीं, कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने साथ होने वाले अन्याय के लिए आवाज उठाकर जिंदगी में कुछ करने के लिए नई राह चुनती हैं। आज हम जिस महिला के बारे में बात कर रहे हैं, उनका नाम है हेमलता कुशवाहा। जिन्होंने अपने 5 महीने के बेटे को पालने के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की बजाय ऑटो रिक्शा चलाना बेहतर समझा।
28 वर्षीय हेमलता कुशवाहा ने जब ऑटो चलाने का फैसला किया। जब वह पार्किंग पर पहुंची तो बाकी ऑटो ड्राइवर्स की निगाहें उन्हें ताकती रह गई। 8 वीं कक्षा तक पढ़ी हेमलता किसी अच्छी कंपनी में नौकरी नहीं कर सकती थी। नौकरी में बंध वह बच्चे को समय नहीं दे सकती थी। अपने भाई की मदद से उसने ऑटो रिक्शा खरीदा और चलाना भी सीखा।
शुरू में इस काम के लिए भी उसे बहुत संघर्ष करना पड़ा। कई पुरुषों और ड्राइवरों द्वारा उस पर अभद्र टिप्पणी की जाती था। इतना ही नहीं एक बार तो उसे किसी व्यक्ति ने अभद्र इशारे और छेड़खानी भी की। उसे नजरअंदाज करने की बजाए हेमलता ने उसके खिलाफ पुलिस शिकायत करवाई। उसकी हिम्मत को देखते हुए हेमलता को ऑटो रिक्शा एसोसिएशन का सेक्रेटरी बना दिया गया। अपने पैरों पर खड़ो होकर अब हेमलता की जिंदगी बहुत बदल गई है।