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2018 में लोगों की परेशानियों का कारण बनी ये 6 बीमारियां

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 20 Dec, 2018 06:15 PM
2018 में लोगों की परेशानियों का कारण बनी ये 6 बीमारियां

साल का आखिरी महीना यानि दिसंबर खत्म होने ही वाला है जो अपने साथ बीते समय की कुछ अच्छी और बुरी यादें छोड़ जाएगा। इस साल कई बीमारियों और खतरनाक वायरस ने लोगों को परेशान करने का काम किया। जिसमें जीका वायरस, निपाह वायरस, इबोला, डिप्थीरिया, डेंगू आदि दुनियाभर में चर्चा का विषय रहे। नए साल यानि 2019 में सेहत संबंधी इस तरह की समस्याओं का दोबारा सामना न करना पड़े इसलिए कुछ वायरस से सबक लेना जरूरी है।

 

चिकनगुनिया

चिकनगुनिया बुखार है जिसमें जोड़ों और हड्डियों में असहनीय दर्द होता है। इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है जो मच्छरों से फैलता है। डबल्यू एच ओ की रिपोर्ट के मुताबिक चिकनगुनिया से भारत ही नहीं बल्कि केन्या के लोग भी साल 2018 में परेशान रहे थे।

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इबोला वायरस

इबोला के जानलेवा वायरस ने दुनियाभर के लोगों को हैरानी में डाल दिया था। इसके बारे में विश्व स्वास्थय संगठन यानि डबल्यू एच ओ का कहना है कि कांगो में फैलने वाला इबोला वायरस अब तक के स्वास्थ्य इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी महामारी है। इसका फैलने का कारण चमगादड़ से खजूर और इसके बाद इंसानों के शरीर में आता है। 

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निपाह वायरस

इस वायरस का प्रकोप दुनिया के बाकी देशों के साथ-साथ भारत पर भी छाया रहा। केरल और भोपाल में तो इसके लिए सरकार को हाई अलर्ट भी करना पड़ा था। जानवरों से इंसानों में फैलने वाले इस वायरस से सावधान रहने के लिए लोगों को इससे बचने की सख्त हिदायत दी गई थी कि खाने से पहले फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं। यह जानवरों के संपर्क में आने वाले फलों, दूषित खाने, सब्जियों आदि से फैलता है।

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जीका वायरस

मच्छरों के विषाणुओं से फैलने वाले इस वायरस ने भारत को लोगों को भी परेशानी में डाल दिया था। जीरा मच्छर गर्भवती महिलाओं को अपनी चपेट में लेकर भ्रूण के दिमागी विकास पर प्रहार करता है। जिससे उनके मस्तिष्क का आकार छोटा रह जाता है विकसित नहीं हो पाता। 

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डिप्‍थीरिया

बच्चों में होने वाली बीमारी डिप्थीरिय की वजह से भी मां-बाप साल 2018 में बहुत परेशान रहे। इसे गलघोंटू नाम से भी जाना जाता है। जिसका शिकार पांच साल की उम्र तक के बच्चे होते हैं। इस बैक्टीरिया का असर बच्चे के गले पर पड़ता है, यह बैक्टीरिया टांसिल व श्वास नली को बुरी तरह से संक्रमित करता है। जिससे बच्चे के गले में झिल्ली बन जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है। कुछ मामलों में तो बच्चों को मौत भी हो जाती है। इससे बचने के लिए सरकार द्वारा  डीपीटी टीकाकरण के प्रोग्राम भी चलाए गए थे।  

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लासा फीवर

चूहों के मल-मूत्र से फैलने वाले इस संक्रमण ने नाइजीरिया के लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया था। यह एक तरह का बुखार है जो लासा वायरस से फैलता है। नाइजीरिया के अलावा यह वायरस गिनी, बेनिन, घाना,माली, लाइबेरिया,सिएरा लियोन और पश्चिम अफ्रीका के अन्य देशों में फैला हुआ था। 

 

 

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