IAS बनाकर देश की सेवा करना वैसे तो कई लोगों का सपना होता है पर इसे पूरा करना आसान नहीं होता। सिविल सेवा परीक्षा को पास करने के लिए लंबे समय तक पढ़ाई करनी होती है , जो सब के बस की बात नहीं है। लेकिन अगर दिल में चाह तो सब कुछ पाया जा सकता है, राह आसान बन सकती हैं और ये तक दिखाया है हरी चांदना दसी ने। उन्होंने IAS बनने के लिए विदेश में अपनी अच्छी- खासी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने ऐसा तब किया जब बहुत से लोग बाहर जाकर सेटल होने का आतुर होते हैं। वहीं हरी ने देश वापस लौटकर देश की सेवा करने की सोची और आखिरकार उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई। आइए आपको बताते हैं हरी चांदना दसारी के आईएएस बनने के सफर के बारे में.....
कौन है हरी चांदना दसारी
हरी फिलहाल भारत सरकार की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत हैं। हरी चांदना के पिता भी प्रशासनिक सेवा में हैं और मां गृहणी हैं। हरी चांदना ने अपनी शुरूआती पढ़ाई तेलंगाना और हैदराबाद से की। हैदराबाद के सेंट एन्स कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सेंट एन्स कॉलेज से स्नातक की। वहीं हैदराबाद की यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की।
पापा को देखकर आया IAS बनने का ख्याल
चांदना ने लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एनवायरमेंट इकोनॉमिक्स से एमएससी की पढ़ाई की। वहीं पर उन्हें विश्व बैंक में नौकरी भी मिल गई। वहीं उन्होंने बीपी शेल जैसी कंपनियों में भी अपना हुनर दिखाया। चांदना ने बचपन में अपने पिता को प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर देखा था, जिसके बाद वो भी इस दिशा में काम करना चाहती थीं और साल 2010 में अपने दूसरी प्रयास में वो यूपीएससी पास करने में सफल रहीं।
किया कई सारे सराहनीय काम
IAS बनने के बाद ना सिर्फ उन्होंने देश की तरक्की के लिए काम किया है बल्कि देश का साफ करने का जिम्मा भी अपने सिर पर उठा लिया है। कचरे में डाली जाने वाली प्लास्टिक की पानी की बोतल और कोल्ड ड्रिंक की बोतलों पर चांदना ने रिसर्च की। इसके बाद बोतलों का वेस्ट मैनेजमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया गया। ग्रीन रेवोलुशन के जरीए हरी चांदना ने प्लास्टिक की बोतलों में पौधे लगवाएं। हैदराबाद की सड़कों और 120 पार्कों को हरी चांदना ने कचरे की बोतलों से सजा दिया। वहीं खराब ड्रम और टायर्स को रंगवा कर पार्क में डेकोरेशन के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने एक डॉग पार्क भी बनवाय, जहां शहर के पालतू कुत्तों को टहलाया जा सकता है, ताकि बाहर सड़कों पर गंदगी न हो।