दुनिया भर में बढ़ते प्रदूषण के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इस बर्फ के पिघलने के चलते स्विट्जरलैंड में एक हैरान करने वाली खोज हुई है। यहां पर 37 साल पहले गायब हुए एक जर्मन पर्वतारोही का शव मिला है। बता दें 12 जुलाई को स्विट्जरलैंड के जर्मेट के दक्षिण में थियोडुल ग्लेशियर पर पर्वतारोहियों ने पिघली हुई बर्फ में मनाव अवशेष को देखा । उन्होंने बर्फ के बाहर एक जूता देखा जिसपर पर्वतारोही वाली कीलें लगाते हैं। बाद में पर्वतारोहियों ने इसे बाहर निकाला जिसे स्विट्जरलैंड के नजदीकी शहर सायन के वैलेस अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन यूनिट में भेजा दिया गया।
डीएनए विश्लेषण के बाद वैलेस पुलिस के अधिकारियों ने पुष्टि की कि मिला हुआ शव एक 38 साल के पर्वतारोही का है जो 1986 में पहाड़ पर लापता हो गया था। ये घटना जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे बदलावों पर चिंताजनक प्रवृति को दिखाती है। ग्लेशियर लगातार चिंताजनक स्पीड के साथ पिघल रहे हैं। इसके कारण उनके अंदर कोई पड़ी चीजों को खोजना आसान हो जाता है। पुलिस का कहना है कि ग्लेशियरों के पिघलने के कारण उन पर्वतारोहियों के शव मिल रहे हैं, जिनके लापता होने की खबर दशकों पहले दर्ज कराई गई हो।
ग्लेशियर से मिलता है साफ पानी
स्विट्जरलैंड में ग्लेशियर लोगों को प्यास बुझाना का भी काम करते हैं। सर्दियों के दौरान यहां भारी मात्रा में बर्फ जमती है, जब वो गर्मियों में पिघलती है तो लोगों को ताजा पानी पीने को मिलता है। हालांकि दुनिया में बढ़ते प्रदूषण के चलते ग्लेशियर जल्दी पिघल रहे हैं और तेज गर्मी के चलते बर्फी बहुत ज्यादा मात्रा में पिघल रही है।
हालांकि ये कुछ नया नहीं है, इससे पहले भी बहुत बारे ग्लेशियर पिघलने से शव मिल चुके हैं।