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बदलो सोच: इज्जत और सेवा बहू करेगी दहेज नहीं, पत्नी से प्यार करो सामान से नहीं

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 14 Jun, 2023 04:16 PM
बदलो सोच: इज्जत और सेवा बहू करेगी दहेज नहीं, पत्नी से प्यार करो सामान से नहीं

हर मां- बाप की इच्छा होती है कि उनकी बेटी को अच्छा घर- परिवार मिल जाए और उसके जीवन में कभी कष्ट ना आए। मां- बाप द्वारा दी गई शिक्षा, संस्कार सब दहेज नाम की कुप्रथा के आगे फीके पड़ जाते हैं। क्योंकि आज भी हमारे देश में ऐसे लोग हैं जिन्हें बहू का नहीं दहेज का इंतजार होता है। उन्हें किसी की बेटी से नहीं बल्कि उसके साथ आए हुए सामान से प्यार होता है। उनकी इसी साेच के कारण आज भी कई मासूम लड़कियां बलि चढ़ रही हैं। 

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कानून का नहीं दिख रहा असर

दहेज शादी के समय दुल्हन के ससुराल वालों को लड़की के परिवार द्वारा नकद या वस्तु के रूप में किया जाने वाला भुगतान है। वैसे तो  सरकार ने दहेज प्रथा को मिटाने के लिये दहेज निषेध अधिनियम 1961 में बनाया था, लेकिन देश के हालात देखकर यह लगता तो नहीं यह कानून लोगों की सोच बदल पाया है। क्योंकि दहेज ने नया रूप जो ले लिया है।

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दहेज को दिया जा रहा है नया रूप

आमतौर पर देखा जाता है कि शादी के वक्त लड़के वाले बड़े ही आराम से कह देते हैं हमें कुछ नहीं चाहिए, जो देना है आपने अपनी बेटी को देना है। उनके कहना का मतलब होता है कि जिस लड़की को वह अपने घर की बहू बनाकर लेकर जा रहे हैं उसके लिए उनकी तरफ से कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। ऐसे में लड़की वाले अपनी लाडली तो दे ही रहे हैं उसके रहने सोने का सामान भी साथ दें। अगर ऐसा ही है तो यह क्याें कहा जाता है कि बेटी की शादी के बाद मां- बाप का सिरदर्दी खत्म हो गई है। 

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लोगों का बढ़ रहा है लालच

कुछ लोगों के हालात देखकर तो यही कहा जा सकता है कि बेटी की शादी के बाद मां- बाप की चिंता बढ़ती है ना की कम होती है। क्योंकि ससुराल वालों को खुश करने के लिए एक बाप दहेज तो दे देता है लेकिन इसका कर्ज उतारने में उसकी सारी जिंदगी निकल जाती है। अगर वह दहेज ना दे तो उसकी बेटी को पल- पल ताने सुनने पड़ते हैं। कुछ लालची लोगों को तो दहेज इतना प्यारा होता है कि वह किसी के बेटी की जान लेने में भी परहेज नहीं करते हैं।

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धन-दौलत देखकर लड़की को मिलता है सम्मान

मौजूदा दौर में ऐसे हालात बन गए हैं कि माता-पिता और लड़की का सम्मान दहेज में दिए गए धन-दौलत पर ही निर्भर करता है। लड़के वाले तो सरेआम अपने बेटे का सौदा करते हैं।  प्राचीन परंपराओं के नाम पर लड़की के परिवार वालों पर दबाव डाल कर उनको प्रताड़ित किया जाता है। बस सवाल यह है कि ऐसे लोगों को ये हक किसने दिया है? और लड़के को सौदा क्यों? अगर लड़का अपनी पत्नी को दो वक्त की रोटी खिलाने के लिए भी पैसों की मांग कर रहा है तो उसका खुद का अस्तित्व क्या है। 

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लड़की के मां- बाप को बदलनी पड़ेगी सोच

इस तरह की डिमांड पूरी करने से पहले हर लड़की के मां- बाप को एक बार तो यह जरूर सोचना चाहिए कि जो लड़का उनकी बेटी का  खर्चा नहीं उठा सकता वह उम्र भर उसका ख्याल क्या रखेगा। इस तरह के घर में बेटी को भेजने की बजाय उसे अपने पास ही रखें  ताकि यह डर तो नहीं रहेगा कि कुछ सामान के चलते आपके लाडली को कोई जला ना दे। हम तो यही कहेंगे इज्जत और सेवा बहू करेगी दहेज नहीं, पत्नी से प्यार करो सामान से नहीं।  

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