मन्नतों के पर्व छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। चार दिवसीय उत्सव शुक्रवार को नहाय-खाय अनुष्ठान के साथ शुरू हुआ और सोमवार की सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। छठ पूजा को सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है । कहा जाता है कि छठी मैय्या वैवाहिक जीवन में आनंद रूप में संतान सुख प्रदान करती हैं। इससे वंश की वृद्धि होती है इसलिए छठ पर्व में इस दिन का बड़ा महत्व है।
शादीशुदा महिलाएं इस व्रत का पालन पूरे श्रृंगार के साथ करती हैं। छठ माता की पूजा के दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती हैं। मान्यता है कि मांग में जितना लंबा सिंदूर लगाया जाता है, पति की उम्र उतनी ही लंबी होती है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन मांग में गाढ़ा और लंबा सिंदूर भरने से घर और परिवार में सुख-समृद्धि और शान्ति बनी रहती है।
शास्त्रों में भी कहा गया है कि जो महिलाएं मांग में लंबा सिंदूर लगाती है उनके पति को खूब मान-सम्मान मिलता है। इतना ही नहीं, इससे उसके पति को हर जगह इज्जत मिलती है। यह बात गौर करने वाली है कि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दुल्हन को लाल के बजाय नारंगी सिंदूर लगाया जाता है। केवल महिलाएं ही नहीं देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भी नारंगी सिंदूर का ही इस्तेमाल किया जाता है।
पौराणिक कथाओं में भी नारंगी सिंदूर का जिक्र किया गया है। नारंगी सिंदूर की तुलना सुबह होने के समय सूर्य की लालिमा से की जाती है, जिसका रंग नांरगी होता है। माना जाता है कि बिहार और झारखंड में नारंगी सिंदूर लगाने की पीछे मान्यता है कि जिस तरह सूरज लोगों की जिंदगी में नया सवेरा , खुशहाली और उमंग लाता है, उसी तरह माना जाता है कि नारंगी सिंदूर भी दुल्हन की जिंदगी में खुशहाली लाता है। यही कारण है कि सात फेरे और सिंदूर की रस्म सुबह के समय में की जाती है।
कथाओं के अनुसार सिंदूर का नाक तक लगाने का संबंध मां पार्वती से भी है। जब मां पार्वती ने रक्तबीज राक्षस को मारा था तब उनका सिंदूर नाक तक फैल गया था। इसी वजह से हिंदू धर्म में महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं। नवविवाहित महिलाएं इस बात का खास ख्याल रखे की जो सिंदूर उन्हें शादी के समय मिला है उसी को कुछ दिनों तक लगाए और उस सिंदूर को संभाल कर रखें।