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कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के 27 साल के भारतीय छात्र ने हल की 2500 साल पुरानी Sanskrit Grammer की गुत्थी

  • Edited By palak,
  • Updated: 24 Dec, 2022 04:17 PM
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के 27 साल के भारतीय छात्र ने हल की 2500 साल पुरानी Sanskrit Grammer की गुत्थी

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक भारतीय पीएचडी विद्यार्थी ने करीबन ढाई हजार साल पुरानी एक समस्या को हल किया है। इससे पहले पांचवी सदी ईसा पूर्व के आसपास संस्कृत के महान विद्वान पाणिनी ने लिखा था। इस समस्या को इतने सालों में कोई हल नहीं कर पाया लेकिन 27 साल के डॉ ऋषि अतुल राजपोपत ने संस्कृत के अष्टाध्यायी शब्द के नियम का हल कर दिया है। 4000 सूत्रों वाला अष्टाध्यायी शब्द संस्कृत के पीछे का विज्ञान बताता है। अष्टाध्यायी में मूल शब्दों से नया शब्द बनाने के कई सारे नियम हैं बताए गए हैं। 

मेटा रुल को किया सॉल्व 

अष्टाध्यायी शब्द का प्रयोग करके आप संस्कृत के किसी भी शब्द के आधार और प्रत्यय को भर सकते हैं। व्याकरण की दृष्टि से सही शब्द और वाक्य आप इन शब्दों से बना सकते हैं। लेकिन पाणिनी के दो या दो से ज्यादा व्याकरण नियम आप एक ही समय में लागू हो सकते हैं। इसके कारण पैदा होने वाली कठिनाई को सुलझाने की हमेशा कोशिश होती रहती है। शब्दों को बनाते समय यह आपस में न टकराएं इसके लिए पाणिनी ने अष्टाध्यायी में ही एक नियम बताया था जिसके मेटा रुल कहा जाता है। 

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ऋषि ने किया नियम को खारिज 

अगर व्याकरण की दृष्टि से देखा जाए तो मेटा रुल भी गलत परिणाम देता है। अपनी पीएचडी थीसिस में डॉ ऋषि ने इस पुरानी व्याख्या को खारिज कर दिया और मेटा रुल की एक आसान व्याख्या की। उनके अनुसार, पाणिनी का नियम कहता है कि यदि शब्द को बाएं और दाएं पक्ष पर लगने वाले नियमों में हमें दाई और लगने वाले नियम को ही चुनना चाहिए। इस तर्क को बताते हुए ऋषि ने बताया कि अष्टध्यायी एक स्टीक भाषा मशीन के रुप में कार्य कर सकती है, जो लगभग हर बार व्याकरण की दृष्टि ने नए शब्दों और वाक्यों का निर्माण करता है। 

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आसानी से समझ सकेंगे कंप्यूटर 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऋषि का यह निष्कर्ष क्रांतिकारी है, क्योंकि इस खोज में पाणिनी से पाणिनी के संस्कृत व्याकरण को पहली बार कंप्यूटरों को पढञाया जा सकेगा लेकिन ऋषि के अनुसार, एनएलपी(NLP) पर काम करने वाले कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने नियम आधारित दृष्टिकोण को छोड़ दिया था लेकिन अब कंप्यूटर को पाणिनी के नियम के आधार पर वक्ता के इरादे को समझना भी आसान होगा जो इंसानों और मशीनों के बीच संपर्क के इतिहास में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित होगा। 

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