22 NOVFRIDAY2024 3:24:59 PM
Nari

बेटों ने फेरा मुंह! 20 रूपए में खाना बेचकर मुश्किल से पेट पाल रही 80 साल की 'रोटी वाली अम्मा'

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 20 Oct, 2020 02:40 PM
बेटों ने फेरा मुंह! 20 रूपए में खाना बेचकर मुश्किल से पेट पाल रही 80 साल की 'रोटी वाली अम्मा'

इस कोरोना काल में हर किसी की आर्थिक हालत पर असर पड़ा है। बड़े से बड़ा बिजनेस इस काल में प्रभावित हो रहा है। सबसे ज्यादा जिन्हें नुक्सान हो रहा है वह है दिहाड़ी मजदूर जो रोज कमाकर उन्हीं पैसों से पेट पालते हैं। बाजार में कितनी मंदी है इसका अंदाजा हम हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुई बाबा के ढाबे की वीडियो से लगाया जा सकता है लेकिन हमारे देश में हमारे आस पास ऐसे कितने ही लोग हैं जो मुश्किल से अपना पेट पाल रहे हैं। हाल ही में एक ऐसा ही केस सामने आया है। 

PunjabKesari

बाबा के ढाबे के बाद आगरा की भगवान देवी की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों को देख कर हम भगवान देवी की मेहनत और संघर्ष को साफ महसूस कर सकते हैं। आपको बता दें भगवान देवी अपनी इसी छोटी सी दुकान से अपना पेट पालती है। वह 20 रूपए में खाना बेचती है। इसी वजह से भगवान देवी को रोटी वाली अम्मा के नाम से जाना जाता है। 

15 साल से कर रहीं काम 

भगवान देवी की मानें तो वह यह काम पिछले 15 सालों से कर रही हैं लेकिन इस काम से बिल्कुल भी कमाई नहीं हो पाती है। कोरोना महामारी के कारण तो अम्मा की हालत दिन प्रतिदिन और खराब होती जा रही है। 

PunjabKesari

20 रुपए में बेचती है थाली 

भगवान देवी महज 20 रूपए में थाली बेचती है जिसमें वो दाल, सब्जी, चावल और रोटी देती है। वह आगरा के सेंट जोंस कॉलेज के सामने बैठती है। लगभग 80 साल की अम्मा के इस स्टॉल पर ज्यादतर रिक्शेवाले और दिहाड़ी मजदूर ही आते हैं लेकिन इन दिनों कोरोना के चलते अम्मा के यहां कोई ग्राहक नहीं आ रहा है। इसके कारण वह बहुत मुश्किल से अपना गुजारा कर रही हैं। 

बेटों ने किया किनारा 

PunjabKesari

अम्मा की मानें तो उनके दो बेटे हैं जो कि उनकी देखभाल नहीं करते हैं। ऐसे में उन्हें खुद ही अपना गुजारा करना पड़ता है। मीडिया के साथ बातचीत में अम्मा कहती हैं,' मेरे साथ कोई नहीं है। अगर कोई साथ होता तो ये दिक्कत नहीं आती।'

अम्मा को सताता है इस बात का डर 

अम्मा बहुत मुश्किल से अपना पेट पाल रही है लेकिन उन्हें इस बात का डर है कि कहीं कोई उन्हें यहां से उठा दे न। अम्मा इस पर कहती है ,' मुझे रोज़ डर लगता है कि कहीं मुझे यहां से हटा न दें। मैं कहां जाऊंगी? मुझे बस यही आशा है कि मेरी एक परमानेंट दुकान हो।'

Related News