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वक्त से पहले बड़ों की तरह व्यहार कर रहे हैं बच्चे, तो हमेशा हाथ में रहना वाल फोन है इसकी वजह

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 16 Nov, 2024 01:00 PM
वक्त से पहले बड़ों की तरह व्यहार कर रहे हैं बच्चे, तो हमेशा हाथ में रहना वाल फोन है इसकी वजह

नारी डेस्क: अकसर देखा जाता है कि छोटे- छोटे बच्चे खेलने-कूदने की बजाय एक जगह बैठकर मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर में खोए होते हैं। मां- बाप भी अपनी जान छुड़ाने के लिए उन्हें ये सब चीजें पकड़ा देते हैं ताकि वह कुछ देर के लिए शांत रहें। इससे उनकी आंखें तो खराब होती है पर अब यह गैजेट्स early puberty की भी वजह बन रहे हैं।

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नीली रोशनी से शरीर को होता है ये नुकसान

 चूहों पर किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि स्मार्टफोन या टैबलेट से निकलने वाली नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से समय से पहले यौवन हो सकता है। इस अध्ययन में यौवन के शुरुआती जोखिम को हड्डियों के तेजी से विकास और नीली रोशनी के संपर्क में आने के कारण होने वाली हड्डियों की उम्र से जोड़ा गया है। यह शोध हड्डियों के विकास और यौवन के बीच संबंध का पता लगाने वाला पहला शोध है।

 

पहली बार हुआ इस तरह का अध्ययन 

तुर्की के गाजी विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. आयलिन किलिंक उगुरलू ने कहा-  "यह पहला अध्ययन है जो दिखाता है कि नीली रोशनी शारीरिक विकास और वृद्धि को कैसे प्रभावित कर सकती है, जिससे बच्चों के विकास पर आधुनिक स्क्रीन के संपर्क के प्रभावों पर आगे और शोध करने की प्रेरणा मिलती है।" उन्होंने कहा- चूंकि अध्ययन चूहों पर किया गया था, "हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि ये निष्कर्ष बच्चों में भी दोहराए जाएंगे, लेकिन हमारे आंकड़े बताते हैं कि नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क से शारीरिक विकास और ग्रोथ प्लेट की परिपक्वता दोनों में तेजी आती है, जिससे समय से पहले यौवन होता है,"। 

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तेजी से बढ़ने लगते हैं बच्चे

शोधकर्ता ने कहा- जब बच्चे बड़े होते हैं तो उनमें फीमर जैसी लंबी हड्डियां विकसित होती हैं, जो क्रमशः प्रत्येक छोर पर लंबी होती जाती हैं। यह अंततः ऊंचाई में वृद्धि को रोकती है। जहां लड़कियां 14 से 16 वर्ष की आयु के बीच अपनी अधिकतम ऊंचाई तक पहुंच जाती हैं, वहीं लड़के 16 से 18 वर्ष की आयु के बीच अपनी वृद्धि पूरी कर लेते हैं। हालांकि हाल के अध्ययनों ने लड़कियों और लड़कों दोनों में समय से पहले यौवन में वृद्धि की ओर इशारा किया है। अध्ययनों से पता चलता है कि बच्चे पहले तो तेजी से बढ़ सकते हैं, लेकिन अक्सर सामान्य से पहले बढ़ना बंद कर देते हैं। 

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नीली रोशनी के कारण रूक जाती है लंबाई

इन्हें छह के तीन समूहों में विभाजित किया गया और यौवन के पहले लक्षणों तक या तो सामान्य प्रकाश चक्र, छह घंटे या 12 घंटे नीली रोशनी के संपर्क में रखा गया। टीम ने उनकी लंबाई और फीमर को मापा और पाया कि नीली रोशनी के संपर्क में आने वाले चूहों की वृद्धि तेज़ थी, खासकर उनकी हड्डियों में। उगुरलू ने और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा- "इसका मतलब है कि उनकी हड्डियां बहुत जल्दी परिपक्व हो गईं, जिसके कारण वे वयस्कों की तुलना में औसत से कम लंबाई के हो सकते हैं।" 

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