जैसे लोहड़ी पंजाबी लोगों के द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे ही मकर संंक्रांति का दिन केरला के लोगों के द्वारा बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी दिन मंदिर की पवित्र 18 सीढ़ियां खुलती हैं। इन पवित्र सीढ़ियों पर सिर्फ वहीं श्रद्धालु जा सकते हैं जिन्होंने 41 दिनों तक कठोर तपस्या की होती है। अयप्पा मंदिर की यह पवित्र सीढ़िया सिर्फ साल में एक बार ही खुलती हैं। तो चलिए आपको बताते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ बातें...
इन सीढ़ियों का है खास महत्व
मंदिर की 18 सीढ़ियों की बहुत ही खास महत्व है। इसमें से पहली पांच सीढ़ियां मनुष्य की पांच इंद्रियों से जुड़ी हैं और अगली आठ सीढ़ियां मानव की भावनाओं का प्रतीक हैं। अगली तीन सीढ़ियां मानवीय गुण और आखिरी दो सीढ़ियां ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक हैं।
मंदिर के नीचे स्थित हैं नौ ग्रह
भगवान अयप्पा के अलावा मंदिर के नीचे नौ ग्रह मंदिर में स्थापित हैं। यहां पर हर साल 19 जनवरी से लेकर 24 जनवरी तक तिरुउत्सवम मनाया जाता है। मंदिर में 4.30 बजे से अभिषेक और गणपति की पूजा के बाद भक्तगण पवित्र सीढ़ियों पर चढ़ेंगे। बाद में शाम को 6.30 बजे दीप-आराधन, आरती के बाद भोग लगाया जाएगा।
आकाश में दिखाई देती है चमकती हुई ज्योति
ऐसा माना जाता है कि यहां पर रात में आकाश में मकर ज्योति चमकती हुई दिखती है। इस ज्योति के दर्शन करने के लिए देशभर से हजारों लोग करेल में आते हैं।
इस तरह चढ़ते हैं भक्त मंदिर की सीढ़ियां
मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शनिश्वर भगवान अयप्पा के दर्शन करने के लिए 41 दिनों तक व्रत, नियमों का पालन करने वालों की ही इन सीढ़ियों पर चढ़ने की अनुमति मिलती है। सभी श्रद्धालु अपने सिर पर पोटली रखकर मंदित तक जाते हैं और भगवान का दर्शन करते हैं।
मुख्य द्वार से लेकर आंगन तक सजाया जाता है मंदिर
मंदिर में मकर संक्रांति की रात भक्तगण खुद ही ज्योति प्रज्जवलित करते हैं। साथ में आकर्षक रंगोली सजाकर मुख्य द्वार से लेकर आंगन, सीढ़ियां और मंदिर के गुबंद तक हजारों दीपक जलाकर सजाते हैं।