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जब हो जाए मासिक सदा के लिए बंद

  • Updated: 11 Feb, 2015 11:35 PM
जब हो जाए मासिक सदा के लिए बंद

रजोदर्शन (मासिक-धर्म) का होना नारी के लिए एक प्राकृतिक एवं आवश्यक क्रिया है। यौवनावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही मासिक स्राव का योनि मार्ग द्वारा निकलना प्रारंभ हो जाता है।एक अवस्था ऐसी भी आती है जब यह हमेशा के लिए बंद हो जाता है।इसी अवस्था को रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज कहा जाता है।

साधारणत: मेनोपॉज की आयु 45-50 वर्ष के अंदर मानी जाती है। रजोनिवृत्ति के समय में रज(खून) का रंग अधिक गाढ़ा होने लगता है।इस प्रकार की गड़बड़ी मेनोपॉज होने के 6 महीने पहले से लेकर 2 वर्ष तक हो सकती है।मेनोपॉज होने का मतलब यह होता है कि अंडाशय की क्रियाएं बंद हो चुकी हैं तथा महिला की प्रजनन (जन्म देने) की शक्ति का अंत हो चुका है।मेनोपॉज के कारण महिला की सैक्स भावना या क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है।वह इस अवस्था में भी पहले की तरह ही कामानंद उठाती रहती है।

मेनोपॉज काल में केवल रज: स्राव ही अनियमित नहीं हो जाता बल्कि उसके साथ-साथ निम्नांकित अन्य लक्षण भी प्रकट होने लगते हैं- वजन में वृद्धि होने लगती है।कूल्हों, नितम्बों एवं स्तन के चारों ओर चर्बी का संग्रह होने लगता है।
- योनि द्वार संकीर्ण होने लगता है।उसमें से निरंतर रिसने वाला तरल पदार्थ सूखने लगता है तथा योनि की श्लेष्मिक कला पतली होकर उसमें स्थित सिकुडऩ समाप्त हो जाती है।

- गर्भाशय का आकार छोटा एवं कठोर हो जाता है।

- अधीरता, थकान, मानसिक चिड़चिड़ापन, अवसाद, सिरदर्द एवं अधिक उत्तेजना आदि कुछ प्रमुख लक्षण मेनोपॉज से संबंधित होते हैं।मेनोपॉज के समय महिलाओं के भार में वृद्धि हो जाया करती है एवं संधियों में पीड़ा होने लगती है।एकाएक उनकी कामेच्छा में वृद्धि हो जाती है किंतु उसके बाद धीरे-धीरे उसमें कामेच्छा (सैक्स की इच्छा) कम होने लग जाती है।

- स्त्री के चेहरे पर लाली आ जाती है और उसे अपने शरीर में अत्यधिक गर्मी महसूस होने लगती है तथा पसीना प्रकट होने लगता है।कभी-कभी स्त्री के सभी अंग थोड़ी देर के लिए सुन्न हो जाते हैं और अत्यधिक थकान महसूस करने लगती है।

- रजोनिवृत्ति के समय महिलाओं को चिकित्सक से सम्पर्क करके अपनी विशेष परेशानियों  को दूर कर लेना चाहिए।

—पूनम दिनकर

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