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भारत में बैठी फरिबा ने सुनाई नर्क की कहानियां, 'तालिबान बारूद का ढेर हैं, उन्होंने मेरे बच्चों को बेच दिया'

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 21 Aug, 2021 10:14 AM
भारत में बैठी फरिबा ने सुनाई नर्क की कहानियां, 'तालिबान बारूद का ढेर हैं, उन्होंने मेरे बच्चों को बेच दिया'

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा करते ही वहां के स्थानीय लोग इस कदर खौफ में आ गए हैं कि वह अपना बसा-बसाया घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। लोग तलिबानी कानून के तहत अपनी जिदंगी गुजारने की बजाय देश को छोड़ना पसंद कर रहे हैं। तालिबानी का साफ कहना है कि अब अफगानिस्तान में लोकतंत्र की सरकार नहीं ब्लकि शरिया कानून के मुताबिक सत्ता चलाई जाएगी। 

अफगानिस्तान से भारत आई एक महिला ने अपनी आपबीती में तालिबान की क्रुरता को बताया है जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। दिल्ली के भोगल इलाके में फरीबा नाम की एक अफगानी महिला किराए के एक छोटे से घर में रहती हैं। अकेली अपने देश से दूर रहने के बावजूद वो यहां खुश हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में अफगान की तरह किसी भी तरह का खौफ नहीं है उन्हें यहां इज्जत और सुकून मिल रहा है।

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तालिबानियों की क्रूरता के बारे में फरिबा ने बताई सारी सच्चाई
तालिबानियों की क्रूरता के बारे में फरिबा ने बताया कि उसकी शादी तालिबान लड़ाके से हुई थी। घरवालों ने सिर्फ 14 साल की उम्र में उसकी शादी करा दी थी।  फिर जब उनकी दो बेटियां हुईं, तो पिता ने अपनी दोनों बच्चियों को बेच डाला। उन्होंने 26 सालों तक तालिबान की यातनाओं को सहा, लेकिन अब वो भारत आकर फिर से अपनी जीवन को नए सिरे से शुरू करना चाहती है।  तालिबानी पति के यातनाओं के निशान अभी भी फरिबा के शरीर पर है। अब भारत में इलाज कराने के बाद फरीबा की हालत में काफी सुधार है।

तालिबानी ने मेरी दो अंगुलियों को काट दिया था
फरीबा ने एक फोटो दिखाते हुए बताया कि तालिबानी ने मेरी दो अंगुलियों को काट दिया था। उंगलियों को सिलने के बाद उसके डॉक्टरों ने फोटो खींची थी।  फरीबा ने फोटो को तालिबान द्वारा किए गए अत्याचारों की याद दिलाने के लिए रखा है। वहीं अभी फरीबा दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में एक जिम ट्रेनर का काम करती हैं।

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तालिबान बारूद का ढेर हैं, उन्होंने मेरे बच्चों को बेच दिया 
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी पर फरीबा ने कहा कि तालिबान बारूद का ढेर हैं, जिसने भी उनका सामना किया है, वो उन्हें जानता है कि वो कौन हैं। मैं क्रूर, दमनकारी शासन को कभी स्वीकार नहीं कर सकती और भविष्य में भी ऐसा कभी नहीं कर सकती, वे बदलाव की कितनी भी बात कर लें, उसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। वे दुनिया को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे , मैं उनके बीच रही हूं मुझे सारी सच्चाई पता है मेरे पति और ससुराल वालों ने मुझे काफी दर्द दिया। उन्होंने मेरे बच्चों को बेच दिया।

फ़रीबा ने बताया कि अपने पति और ससुराल वालों से अपनी बच्ची को बचाने की मैनें भीख तक मांगी, लेकिन सब कुछ बेकार था। न तो उसका पति और न ही उसके ससुराल वाले माने, अपनी ही बेटी की बिक्री से फरीबा टूट गई थी।  वहीं अब फरीबा भारत में शरण मिलने से बहुत खुश हैं, जिदंगी में तालिबानीयों की यातानाओं का सामना करते करते उसके आंसू सूख गए हैं, वो पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है। 

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