प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता, कवयित्री और लेखिका कमला भसीन ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। कैंसर से पीड़ित कमला भसीन का निधन दिल्ली के एक अस्पताल में हुआ। भसीन भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में महिला आंदोलन की एक प्रमुख आवाज रही हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने ट्वीट किया कि हमारी प्रिय मित्र कमला भसीन का 25 सितंबर को तड़के लगभग तीन बजे निधन हो गया। यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने जिंदादिली से जीवन जिया। कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी।’
कहा जाता है कि देश में प्रदर्शन स्थलों पर गूंजने वाले ‘आजादी’ के नारे को भसीन ने ही पितृसत्तात्मक व्यवस्था के खिलाफ नारीवादी नारे के रूप में लोकप्रिय बनाया था। उन्होंने अपने गीतों, सरल भाषा और सहज़ स्वभाव से अपने विचारों को आम जनमानस तक पहुंचाया। माना जाता है कि कमला भसीन ने अपने काम और हिम्मत से कई लोगों को सीमाएं लांघने और नयी ऊंचाइंयों को छूने के लिए प्रेरित किया।
'मेरी बहनें मांगे आज़ादी, मेरी बेटी मांगे आज़ादी, मेरी अम्मी मांगे आज़ादी, भूख से मांगे आज़ादी...' ये नारा कमला भसीन का ही था। सामाजिक कार्यकर्ता के साथ कमला भसीन एक उम्दा लेखिका भी थीं। उन्होंने जेंडर थ्योरी, फेमिनिज्म और पितृसत्ता को समझने पर कई किताबें लिखी हैं।कमला ने वर्ष 2002 में एक फेमिनिस्ट नेटवर्क ‘संगत’ की स्थापना की थी।
कमला भसीन के निधन पर अभिनेत्री शबाना आज़मी ने दुख जताते हुए कहा कि मुझे हमेशा से लगता था कि कमला भसीन अजेय थीं और वह अंत तक अजेय रहीं. उनकी कथनी और करनी में किसी तरह का विरोधाभास नहीं था। महिलाओं की आवाज बनने वाली कमला भसीन का जन्म 24 अप्रैल 1946 को हुआ था. उन्होंने महिलाओं के लिए 1970 से काम करना शुरू कर दिया था. लैंगिक भेदभाव, शिक्षा, मानव विकास और मीडिया पर उन्होंने खूब काम किया था.