नारी डेस्क: हर साल 18 अक्टूबर को दुनिया भर में विश्व रजोनिवृत्ति दिवस मनाया जाता है। इस साल का विषय है “लाइफस्टाइल मेडिसिन इन मेनोपॉज़ल हेल्थ”। यह विषय केवल एक थीम नहीं, बल्कि एक बदलाव का संकेत है कि अब रजोनिवृत्ति की देखभाल सिर्फ दवाओं या हार्मोन थेरेपी तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसमें जीवनशैली की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
जीवनशैली क्यों है असली इलाज
रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव नींद, मूड, वजन और मानसिक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करते हैं। अगर महिला अपनी नींद, आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन पर ध्यान दे, तो इन लक्षणों की तीव्रता को काफी हद तक कम किया जा सकता है

आयुर्वेद इसे संतुलन की प्रक्रिया मानता है। वात, पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखने के लिए पौष्टिक भोजन, नियमित दिनचर्या, ध्यान और पर्याप्त आराम जरूरी हैं। “आपकी आदतें ही आपके हार्मोन हैं,” कहती हैं तमन्ना सिंह, मेनोपॉज़ कोच और Menoveda की संस्थापक। “जीवनशैली ही दवा है अगर सही ढंग से अपनाई जाए।”
भारत की भूमिका
भारत के पास आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जो आज दुनिया भर में विश्वसनीय और वैज्ञानिक रूप में मान्यता पा रही है। Menoveda द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 40–55 वर्ष की 63% महिलाएं रजोनिवृत्ति के तीन चरणों के नाम तक नहीं जानतीं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अब समय है जागरूकता और शिक्षा को प्राथमिकता देने का।

जीने की नई परिभाषा
रजोनिवृत्ति जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नया अध्याय है। 2025 की थीम यही संदेश देती है कि लाइफस्टाइल मेडिसिन हर महिला के हाथ में है।
“रजोनिवृत्ति का मतलब रुकना नहीं, बल्कि अपनी देखभाल के तरीके को बदलना है,” कहती हैं तमन्ना सिंह।
Tamanna Singh Co-founder Menoveda, Certified menopause coach