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ट्रेन की कमान महिलाओं के हाथ, रेलवे ने अनोखे तरीके से दिया नारी सशक्तिकरण को सम्मान

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 10 Mar, 2021 05:10 PM
ट्रेन की कमान महिलाओं के हाथ, रेलवे ने अनोखे तरीके से दिया नारी सशक्तिकरण को सम्मान

बीती 8 मार्च को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस दिन हर एक क्षेत्र ने महिलाओं को अनोखे तरीके से सम्मान दिया गया। ग्वालियर में भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला शक्ति को सम्मान देने के लिए रेलवे ने एक स्पेशल ट्रेन चलाई। जिसमें खास तौर पर ट्रेन संचालन से लेकर स्टेशन प्रबंधन तक की सारी जिम्मेदारी महिला कर्मियों को ही सौंपी गई थी।

8:30 बजे ग्वालियर पहुंची स्पेशल ट्रेन 

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महिलाओं द्वारा संचालित की गई यह ट्रेन सुबह 8:30 बजे ग्वालियर पहुंची। जहां पहले से ही मौजूद महिला स्टाफ ने ट्रेन संचालन कर रही महिला कर्मियों को गुलदस्ता भेंट किया और फूल मालाएं पहनाकर उनका काफी अच्छे ढंग से स्वागत किया।

रेलवे का महिलाओं को अनोखा सम्मान 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर रेलवे द्वारा महिलाओं को अलग तरीके से सम्मान दिया गया। बता दें कि ग्वालियर और वाराणसी के बीच चलने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस को सुबह 8:30 बजे महिला लोको पायलट कौशल्या देवी और आकांक्षा गुप्ता लेकर ग्वालियर पहुंची वही उनके साथ महिला गार्ड प्रगति सेंगर भी ट्रेन के साथ ग्वालियर आई थी यहां रेलवे कर्मचारियों और महिला कर्मियों द्वारा बुंदेलखंड के महिला स्टाफ का जोरदार स्वागत किया गया। 

महिलाओं ने चुनी चैलेंजिंग जॉब 

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इस खास मौके पर महिला रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि यह जॉब उनके नेचर के विरुद्ध है लेकिन महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है इसलिए उन्होंने इस चैलेंजिंग जॉब को चुना उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में रेलवे में बड़ी संख्या में महिलाएं आएंगी। रेलवे की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने को लेकर विशेष तैयारियां की गई थी इसके तहत बुंदेलखंड एक्सप्रेस ट्रेन को महिलाओं ने संचालित किया। 

सारी जिम्मेदारी सौंपी गई महिलाओं के हाथ

तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार ट्रेन के संचालन से लेकर सिग्नल, टिकट, सुरक्षा और स्वच्छता की सारी जिम्मेदारी महिला कर्मियों के हाथों में ही सौंपी गई थी। लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, गार्ड, कोच कंडक्टर, टिकट निरीक्षक, टिकट परीक्षक, कोच अटेंडेंट, सफाईकर्मी से लेकर सुरक्षाकर्मी महिलाएं थी और ट्रेन को महिलाकर्मी ही सिग्नल दे रही थी।

सच इसके बाद यह तो साफ झलकता है कि एक महिला बिना पुरूष के अकेले सभी काम कर सकती है और यह सच्चाई भी है। 

रिपोर्ट- अंकुर जैन

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