हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में इस बार सिर्फ एक महिला विधायक होंगी। प्रदेश में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। चुनावी रण में किस्मत आजमा रही 24 में से केवल एक ही महिला प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हुईं। हैरानी की बात यह है कि पहाड़ी राज्य के 40 सालों इतिहास में सिर्फ 42 महिलाएं ही विधानसभा की चौखट को लांघ सकी हैं।
तीनों पाटियों ने महिलाओं पर लगाया था दांव
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने छह, आम आदमी पार्टी (आप) ने पांच और कांग्रेस ने तीन महिलाओं को टिकट दिया था लेकिन केवल भाजपा की रीना कश्यप ही चुनाव जीत पाईं। कश्यप ने पच्छाद (एससी) सीट से फतह हासिल की है। उन्होंने 2021 में हुए उपचुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी। साल 2017 में, चार महिला उम्मीदवार विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही थीं।
मुख्यमंत्री पद के दावेदार महिला को भी मिली हार
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री और कांगड़ा के शाहपुर से चार बार विधायक रहीं सरवीन चौधरी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और डलहौजी से छह बार की विधायक आशा कुमारी, इंदौरा से भाजपा विधायक रीता धीमान, मंडी से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर चुनाव हार गई हैं। आशा कुमारी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल थी।
कांग्रेस पार्टी की सभी महिला उम्मीदवारों को मिली हार
कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 40 सीटें अपने नाम करते हुए जीत तो हासिल की, लेकिन जीतने वाले उम्मीदवारों में कोई भी महिला नहीं है। पार्टी ने कुल तीन महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी की ओर से चुनावी मैदान में उतारी गईं तीनों महिला उम्मीदवार भी कामयाब नहीं हो पाई।
महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से रहा है ज्यादा
राज्य के कुल मतदाताओं में करीब 49 फीसदी महिलाएं हैं। 1998 के चुनावों के बाद से महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अधिक रहा है और यह प्रवृत्ति पिछले पांच चुनावों से जारी रही है। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मत प्रतिशत 76.8 फीसदी रहा जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 72.4 फीसदी था।