10 सितंबर से गणेश चतुर्थी का पर्व आरंभ हो रहा है, जो पूरे भारत में धूमधाम से मनायाा जाता है। इस दौरान बप्पा घर-घर विराजते हैं और 10 दिन रुकते हैं। धर्म-पुराणों में कहा गया है इन 10 दिनों के दौरान चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए क्योंकि चंद्र दर्शन से दोष या कलंक लगता है। चलिए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है।
क्यों नहीं करना चाहिए चंद्र दर्शन?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब क्रोध में आकर भगवान शिव ने उनका सिर काट दिया था तब उन्हें हाथी का मस्तक लगाया गया था। उसके बाद वह पृथ्वी की परिक्रमा करके प्रथम पूज्य देव कहलाएं। तब सभी-देवताओं ने उनकी वंदना कीलेकिन चंद्रदेव ने ऐसा नहीं किया।
भगवान श्री कृष्ण को भी झेलना पड़ा था श्राप
गणेश पुराण के अनुसार, एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन खूबसूरत चांद को देख लिया। फिर कुछ ही दिनों बाद उन पर हत्या का झूठा आरोप लगा। श्रीकृष्ण को बाद में नारद मुनि ने बताया कि ये कलंक उन पर इसलिए लगा है क्योंकि उन्होंने चतुर्थी के दिन चांद देख लिया।
गणपति बप्पा ने दिया था चंद्रदेव को श्राप
पौराणिक कथा के मुताबिक, चंद्रमा को अपने रूप-रंग पर बहुत घमंड था। एक बार बप्पा के सूंड़ वाले चेहरे को देखकर भगवान चंद्र को हंसी आ गई लेकिन भगवान इससे नाराज हो गए और कहा कि आज से तुम काले हो जाओगे। उन्होंने कहा कि, तुम्हे अपनी खूबसूरती पर बहुत गुरुर है... आज मैं तुम्हे श्राप देता हूं कि आज के दिन तुम्हें जो भी देखेगा उसे कलंक लगेगा। यही कारण है कि आज के दिन चंद्रमा देखना वर्जित माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चांद बेहद खूबसूरत नजर आता है।
घर में छिप गए थे चंद्रदेव
भगवान गणेश के श्राप से चंद्रदेव बदसूरत हो गए और घर में छिप गए। देवी-देवताओं के समझाने पर उन्होंने बप्पा से मांफी मांगी और मोदक और पकवान बनाकर पूजा-अर्चना भी की। तब भगवान ने उन पर दया करके माफ कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सूर्य की किरणें फिर से चंद्रमा पर पड़ेंगी उनकी आभा वापस आ जाएगी। भगवान गणेश ने उन्हें माफ तो कर दिया लेकिन उनका श्राप पूरी तरह खत्म नहीं हुआ, ताकि आने वाली पीढ़ियों को याद रहे कि किसी के रुप-रंग का मजाक नहीं बनाना चाहिए। ऐसे में अगर कोई गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करता है तो भविष्य में उसे पाप या कोई बड़ा आरोप लगता है।
आज रात देखना है चांद तो करें ये काम
जो लोग हाथ में फल या दही कुछ भी लेकर चांद को देखेंगे उन्हें भी कंलक नहीं लगेगा। चांद को देखते समय इस मंत्र को पढ़ना चाहिए- सिहः प्रसेनमवधीत सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
ऐसे दूर करें चंद्र दर्शन का दोष
अगर आप गलती से चंद्रमा देख लें तो उकुछ उपाय करके चंद्रदोष से बच सकते हैं।
. भक्ति-भाव से 'सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।' मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे चंद्र दोष का असर नहीं होता।
. अगर गलती से चंद्र दर्शन कर लिए हैं तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की तरफ फेंक दें।
. भागवत की स्यमंतक मणि कथा सुनें और पाठ करें। साथ ही मौली में 21 दूर्वा बांधकर मुकुट बनाएं। फिर इसे बप्पा को चढ़ाकर पूजा करें। इससे कलंक नहीं लगेगा।