17 SEPTUESDAY2024 12:49:45 AM
Nari

क्यों एक छोटे से चूहे को गणेश जी ने चुना अपनी सवारी?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 03 Sep, 2024 07:14 PM
क्यों एक छोटे से चूहे को गणेश जी ने चुना अपनी सवारी?

नारी डेस्क: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की ऐसी प्रतिमा को घर में रखना शुभ माना गया है जिसमें उनके साथ उनकी सवारी मूषक यानि चूहा भी हो।  आइए जानते हैं आखिर भगवान गणेश ने अपना वाहन मूषक ही क्यों चुना? 
 

गणेश जी ने गजमुखासुर से किया युद्ध 

भगवान गणेश की चूहे को सवारी बनाने की कहानी पौराणिक कथाओं में गहराई से जुड़ी हुई है। पुराणों के अनुसार, एक बार, एक असुर जिसका नाम "गजमुखासुर" था, उसने कठिन तपस्या करके भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया। इस वरदान के कारण, गजमुखासुर शक्तिशाली हो गया और उसने देवताओं और मानवों को परेशान करना शुरू कर दिया। उसकी उद्दंडता और अत्याचार बढ़ता गया, और वह अजेय हो गया। जब देवताओं ने भगवान गणेश से मदद मांगी, तो गणेश जी ने गजमुखासुर से युद्ध किया। 
 

गजमुखासुर ने की गणेश जी से प्रार्थना

इस युद्ध में गजमुखासुर ने गणेश जी को पराजित करने के लिए अपने शक्तिशाली गज (हाथी) रूप को धारण किया, लेकिन गणेश जी ने अपनी बुद्धि और बल का उपयोग करते हुए उसे पराजित कर दिया। जब गजमुखासुर ने गणेश जी के सामने आत्मसमर्पण किया, तो उसने प्रार्थना की कि वह गणेश जी का सेवक बन जाए। गणेश जी ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया। लेकिन, उसके अहंकार को खत्म करने के लिए गणेश जी ने उसे एक छोटे चूहे के रूप में बदल दिया। यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि गणेश जी किसी भी बड़ी समस्या या अहंकार को अपने बुद्धिमता और सामर्थ्य से छोटा बना सकते हैं। 


यह है दूसरी कथा 

दूसरी कथा के अनुसार एक बार इंद्र देवता अपनी सभी में किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं और उस दौरान वहां क्रोंच नामक गांधर्व भी मौजूद था9 जो ​कि बार-बार अनुचित कार्य कर संभा को भंग कर रहा था और ऐसे में क्रोंच का पैर गलती से भी मुनि वामदेव को लग गया. जिसके बाद मुनि को बहुत क्रोध आया और उन्होंने क्रोंच को मूषक यानि चूहा बनने का श्राप दे दिया। इस श्राप से क्रोंच एक विशालकाय मूषक बन गया और इंद्र देवता की सभा से सीधा ऋषि पराशन की आश्रम में गिरा।
 

मूषक को इस कारण भगवान ने बनाया अपनी सवारी 

आश्रम में मूषक ने सभी पेड़-पौधों को तोड़ना शुरू कर दिया और वाटिका को तहस-नहस कर दिया।भगवान गणेश भी उस समय आश्रम में ही मौजूद थे और यह सब देख रहे थे. जिसके बाद उन्होंने मूषक को पकड़ने के लिए अपना पाश फेंका और उस पाश में मूषक को बांधकर पाताक लोक से देवलोक ले गए। पाश बंधने की वजह से मूषक बेहोश हो गया था और जैसे ही वह होश में आया उसने गणेश जी से अपने प्राणों की भीख मांगी। तब गणेश जी मूषक से कहा कि तुम्हें जो मांगना है मांगों, लेकिन मूषक ने मना कर दिया और कहा कि आप मुझे अपने साथ रखिए, जिसके बाद गणेश जी ने कहा कि तू आज से मेरा वाहन बन जा और बस तभी से मूषक यानि चूहा गणेश जी की सवारी है।

नोट: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

Related News