कई बच्चे पढ़ने में बहुत ही होशियार होते हैं तो वहीं इससे अलग कुछ बच्चे पढ़ाई में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं दिखाते। ऐसे बच्चों को जब भी पढ़ने के लिए बोलो वह कोई न कोई बहाना बनाने लग जाते हैं। पढ़ने के समय ही उन्हें नींद आने लगती है, भूख लगने लगती है और सिरदर्द होने लगता है। ऐसे में बच्चों की यह बातें सुनकर पेरेंट्स और भी गुस्सा हो जाते हैं लेकिन वह बच्चों को कुछ बोल नहीं सकते क्योंकि डांटने से बच्चे और भी बदतमीजी करने लगते हैं। ऐसे में पेरेंट्स कुछ आसान से तरीके अपनाकर इस समस्या को कंट्रोल में कर सकते हैं। इससे बच्चे खुद ही पढ़ना शुरु कर देंगे और पढ़ाई से भागने की आदत छोड़ देंगे। आइए जानते हैं इनके बारे में...
प्रेशर न डालें
बच्चों पर किसी भी तरह का प्रेशर न डालें। यदि आप उन पर पढ़ने का प्रेशर डालेंगे तो वह धीरे-धीरे पढ़ाई से भागने लगेंगे। केवल पढ़ाई के समय ही उनसे पढ़ाई की बात करें। हर समय यदि आप उनसे पढ़ाई की बात करेंगे तो वह और भी ज्यादा चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाएंगे।
ऐसी चीजें रखें दूर
यदि आप चाहते हैं कि बच्चे पूरे दिल से पढ़ाई करें तो उनके सामने से ऐसी चीजें हटा दें जो उनका ध्यान भटका सकती हैं। फोन, खिलौने या वीडियो गेम्स जैसी चीजें उनसे दूर ही रखें। तभी वह अपनी पढ़ाई को अच्छे से पूरा कर पाएंगे।
मोटिवेट करें
पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करते हैं कि वह ऐसा है तुम ऐसे क्यों नहीं हो लेकिन यह काम भूलकर भी न करें। इससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है बच्चों को यह लगता है कि वह कुछ अच्छा नहीं कर सकते। किसी के साथ उनकी तुलना करने की जगह आप बच्चे को मोटिवेट करें उन्हें बोलें कि वह और भी अच्छे से चीजों को कर सकते हैं।
बिल्कुल भी न निकालें कमियां
बच्चों में कभी भी कमी न निकालें। इससे उनका मन उदास हो सकता है। बच्चों को ऐसा लगने लगता है कि उनमें सिर्फ कमियां ही हैं वह कुछ भी अच्छा नहीं कर सकते। समय-समय पर आप उनका उत्साह बढ़ाएं उनके काम की सराहना करें।
एक रुटिन सेट करें
अच्छी तरह से बच्चे को पढ़ाने के लिए उनकी एक रुटीन जरुरी है। रुटीन से उनमें अनुशासन आएगा और वह हर काम पूरे समय पर कर पाएंगे। शुरुआत में बच्चों को पढ़ने के लिए लंबे समय तक न बिठाएं। धीरे-धीरे उनकी आदत बदलें इससे वह पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी लेने लगेंगे।