भारत में बुजुर्गों की आबादी अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है और इस सदी के मध्य तक यह बच्चों की आबादी को पार कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। भारत दुनिया में किशोरों और युवाओं की सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है।
यूएनएफपीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा- आने वाले दशकों में युवा भारत तेजी से बूढ़े होते समाज में बदल जाएगा। यूएनएफपीए की 'इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023' के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्गों (60 वर्ष और इससे अधिक आयु के लोगों) की आबादी का हिस्सा 2021 में 10.1 प्रतिशत था जो बढ़कर 2036 में 15 प्रतिशत और 2050 में 20.8 प्रतिशत तक होने का अनुमान है।
यूएनएफपीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा- ‘‘सदी के अंत तक देश की कुल आबादी में बुजुर्गों की संख्या 36 प्रतिशत से अधिक होगी। 2010 के बाद से 15 वर्ष से कम आयु वर्ग में गिरावट के साथ-साथ बुजुर्गों की आबादी में तेज वृद्धि देखी गई है, जो भारत में वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ने की गति को दर्शाती है। '' रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बुजुर्गों की आबादी अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है और उम्मीद की जा सकती है कि सदी के मध्य तक यह बच्चों की आबादी से अधिक हो जाएगी।
यूएनएफपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2050 से चार साल पहले, 2046 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों की आबादी से अधिक होगी। उस समय तक, 15-59 वर्ष की जनसंख्या हिस्सेदारी में भी गिरावट देखी जाएगी। निस्संदेह, आज का अपेक्षाकृत युवा भारत आने वाले दशकों में तेजी से बूढ़ा होता समाज बन जाएगा।