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कौन थे Mahatma Gandhi के प्रिय पुत्र जिन्हें मिला था मुखाग्नि देने का अधिकार?

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 31 Jan, 2024 01:33 PM
कौन थे Mahatma Gandhi के प्रिय पुत्र जिन्हें मिला था मुखाग्नि देने का अधिकार?

महात्मा गांधी ने देश की आजादी के लिए कई सारे अंदोलन किए, जेल गए और सीने पर गोली भी खाई। ये बातें तो सब को पता है क्योंकि बच्चा- बच्चा महात्मा गांधी के देश के आजादी में योगदान को इतिहास की किताबों में पढ़ रहा है। लेकिन गांधी जी का परिवार में कौन- कौन था और उनके वंशज के बारे में कम ही लोगों को पता है। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में...

गांधी जी ने कस्तूरबा गांधी से शादी की थी और उनके 4 बेटे थे- हरिलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी और मणिलाल गांधी। गांधी जी के बेटों ने भी देश की आजादी में काफी हद तक योगदान दिया है।

हरिलाल गांधी

ये गांधी जी के सबसे बड़े बेटे थे। इनके विचार अपने पिता से कोई खास मिलते नहीं थे। हरिलाल ने कई ऐसे फैसले भी लिए थे जिससे बापू को काफी तकलीफ पहुंची। वहीं ये भी कहा जाता है कि हरिलाल गांधी जी से निराश थे क्योंकि उन्होंने पिता से बहुत सी अपेक्षाएं रखी थीं, जिस पर एक पिता के रूप में वो खरे नहीं उतरे। गांधी जी के पत्रों के हिसाब से वो पिता की तरह बैरिस्टर बनने की इच्छा रखते थे और विदेश जाकर वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे। लेकिन वहीं देश में ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ रहे हैं गांधी जी का मानना था कि विदेश से मिली शिक्षा किसी भी तरह से देश से अंग्रजों से शासन खत्म करने में सहायक नहीं होगी। वहीं हरिलाल शराब के आदि थे, जब बात भी बापू को खटकती थी। हरिलाल का जीवन बहुत छोटा था। 1948 में पिता की मृत्यु से एक महीने पहले ही हरिलाल का देहांत हो गया था।

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मणिलाल गांधी

ये गांधी जी के दूसरे पुत्र थे। मणिलाल बहुत ही आज्ञाकारी थे और उन्होंने पिता की विरासत को बहुत अच्छे से संभाला। 28 अक्टूबर 1892 को जन्मे मणिलाल ने अपने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा दक्षिण अफ्रीका में बिताया। हमेशा पिता के बताए मार्ग पर चलने वाले मणिलाल ने साल 1903 ने पिता द्वारा शुरु किए गए अखबार इंडियन ओपिनियन का संचालन किया। भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी लोगों के लिए सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ आवाज उठाई और कई बार जेल भी गए। 

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रामदास गांधी

गांधी जी के ये तीसरे बेटे थे। इनका जन्म 2 जनवरी 1897 का हुआ था। पिता के रास्ते पर चलते हुए इन्होंने भी अंग्रेजों के विरुद्ध बहुक से आंदोलनों में हिस्सा लिया। वहीं उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण अफ्रीका में बिताया था। पिता के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेन के बाद भी इनका अस्तित्व गांधी जी से अलग नहीं हो सका। इनके परिवार में इनकी पत्नी निर्मला और तीन बच्चे थे, सुमित्रा, ऊषा और कनु गांधी। वर्तमान में इनके परिवार का कोई भी सदस्य जीवित नहीं है। रामदास  गांधी जी के सबसे प्रिय बेटे थे। सिर्फ उन्हें ही महात्मा गांधी की चिता को मुखाग्नि देने का अधिकार मिला था।

देवदास गांधी

महात्मा गांधी के चारों पुत्रों में सबसे छोटे थे देवदास गांधी। देवदास का जन्म 22 मई 1900 को हुआ था। वे एक अच्छे पत्रकार थे और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार जेल की यात्रा की थी। अपने महान कार्यों के बाद भी गांधी जी के किसी भी पु्त्र का इतिहास में कहीं भी नाम नही है, क्योंकि गांधी जी कभी नहीं चाहते थे कि उनके पु्त्र अपने पिता के नाम के सहारे जीवन में आगे बढ़े। लेकिन महात्मा गांधी की इस सोच से उनके परिवार के लोग सहमत नहीं रहते थे। देवदास का शादी सी. राजगोपालाचारी की पुत्री लक्ष्मी से हुई थी। जिनसे इन्हें चार बच्चे राजमोहन गांधी, गोपालकृष्ण गांधी, रामचंद्र गांधी और  पुत्री तारा गांधी थीं।

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गांधी जी के पौते

गांधी जी की चौथी पीढ़ी की बात करें, तो साल 1934 में मणिलाल गांधी के पुत्र हुए अरूण मणिलाल गांधी, जो कि पेशे से एक लेखक थे। मणिलाल का जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। वहीं, उनके तीसरे पुत्र रामदास गांधी के पुत्र कनु गांधी का 1928 में जन्म हुआ। महात्मा गांधी के चौथे पुत्र देवदास गांधी के तीन पुत्र हुए, जो कि राजमोहन गांधी, रामचंद्र गांधी और गोपालकृष्ण गांधी थे। 

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