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Positive खबर! 208 ग्राम पंचायताें में एक भी टीबी का मरीज नहीं, घर- घर जाकर हो रही जांच

  • Edited By Monika,
  • Updated: 16 Sep, 2025 01:26 PM
Positive खबर! 208 ग्राम पंचायताें में एक भी टीबी का मरीज नहीं, घर- घर जाकर हो रही जांच

नारी डेस्क : चंद्रपुर जिले में टीबी (तपेदिक) से लड़ाई में बड़ी सफलता मिली है। अब तक जिले की 208 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया जा चुका है, यानी इन इलाकों में इस बीमारी का खतरा बहुत कम हो गया है। वहीं, वर्तमान में 2678 मरीजों का इलाज चल रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने लाखों लोगों की टीबी जांच कराई है और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं।

पीएम मोदी की पहल से तेजी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीबी मुक्त भारत अभियान की वजह से चंद्रपुर जिला इस बीमारी के खिलाफ तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह अभियान 24 मार्च 2023 को शुरू हुआ था। उसी साल जिले की 55 पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की गईं। अगले साल 2024 में यह संख्या बढ़कर 208 तक पहुंच गई, जिससे जिले में टीबी पर काबू पाने में बड़ी सफलता मिली।

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कितने लोगों की हुई जांच

जिला स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, चंद्रपुर जिले में 4,68,279 जोखिम वाले लोगों में से अब तक 77,338 लोगों की टीबी जांच की गई है। इनमें से 28,655 लोगों का छाती का एक्स-रे और 16,711 लोगों के बलगम की एनएएटी जांच की गई। इन जांचों के बाद 2678 मरीजों का इलाज फिलहाल जारी है।

टीबी के लक्षण

टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जिले में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इस बीमारी के कुछ प्रमुख लक्षण हैं, जिन्हें पहचानना बहुत जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति को दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी या बुखार रहता है, गर्दन पर गांठ दिखाई देती है, तीन महीनों में वजन कम हो जाता है, बलगम में खून आता है, शाम को बुखार रहता है या रात में हाथ-पांव की हथेलियों में पसीना आता है, तो यह टीबी का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराना आवश्यक है।

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तालुकावार मरीजों की संख्या

चंद्रपुर जिले में टीबी के मरीजों की संख्या अलग-अलग तालुकाओं में इस प्रकार है। बल्लारपुर में 116, भद्रावती में 136, ब्रह्मपुरी में 278, चंद्रपुर ग्रामीण में 76, चंद्रपुर नगर निगम में 749, चिमुर में 125, गोंडपिपरी में 79, जिवती में 52, कोरपना में 109, मूल में 166, नागभीड़ में 156, पोंभुर्णा में 39, राजुरा में 129, सावली में 141, सिन्देवाही में 149 और वरोरा में 178 मरीज उपचाराधीन हैं। पूरे जिले में फिलहाल कुल 2678 मरीजों का इलाज जारी है।

समय पर जांच और इलाज जरूरी

डॉक्टरों का कहना है कि समय पर जांच और नियमित दवा लेने से टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है। साथ ही, संतुलित आहार, हरी पत्तेदार सब्जियां और दालों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने नागरिकों से अपील की है कि यदि किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराएं। सरकारी अस्पतालों में टीबी की उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं। समय पर इलाज और जागरूकता के जरिए न सिर्फ व्यक्ति खुद को स्वस्थ रख सकता है, बल्कि देश को टीबी मुक्त भारत बनाने में भी योगदान दे सकता है।
 

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