जब भी ड्राइविंग का नाम लिया जाता है तब-तब आपके दिमाग में एक पुरूष की ही तस्वीर आती है। इसका कारण है कि लोगों ने अपने मन में कुछ धारणाएं बना ली हैं कि यह काम महिलाओं का है और यह पुरूषों का तभी तो अगर कोई महिला पुरूषों के काम को करना चाहे तो उस पर कईं बातें की जाती हैं लेकिन आज के समय में ऐसा होना तो नहीं चाहिए। लेकिन वो कहते हैं न कि सफलता वही पाता है जो लोगों की बातें सुनता है। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला की कहानी बताते हैं जिन्हें लोग जेसीबी वाली दीदी भी कहते हैं। जो पुरूषों की तरह ही बड़े-बड़े वाहन यूं चलाती है कि आप भी देख कर हैरान रह जाएंगे।
छत्तीसगढ़ की है दमयंती सोनी
हम जिस महिला की बात कर रहे हैं उसका नाम दमयंती सोनी है जो कि राजनांदगांव जिले के छोटे से गांव खैरझिटी में रहती हैं। दमयंती ही जेसीबी वाली दीदी है जिसे देख लोग हैरान रह जाते हैं लेकिन उनके लिए यह सफर आसान नहीं था। एक समय ऐसा था जब उन्हें ड्राइविंग से बहुत ज्यादा डर लगता था लेकिन कहते हैं न कि हालातों के आगे झुक कर कभी-कभी हमें अपने डर का सामना भी करना पड़ता है। और कुछ ऐसी ही हुआ था दमयंती के साथ।
कभी ड्राइविंग से डरती थी दमयंती
दमयंती के पति ड्राइवर थे और जब भी वह अपने पति को ड्राइविंग करते देखती तो उसे बहुत डर लगता । हालांकि पति के निधन के बाद उन्हें इसी डर पर जीत हासिल करनी पड़ी। दरअसल दमयंती के पति का निधन हो गया था जिसके बाद परिवार और बच्चों की सारी जिम्मेदारी उन्हीं पर आ गई थी ऐसे में हालातों के आगे झुकने की बजाए वह उन्हीं से लड़ी और आज वह इन बड़े बड़े वाहनों को खिलौनो की तरह चला लेती है। इतना ही नहीं दमयंती ने साउथ एशिया कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट एक्सपो में टाटा हिताची कंपनी के बैकहो लोडर के सबसे एडवांस वर्जन को ऑपरेट किया।
पति से जीती शर्त को ही बनाया ताकत
आपको बताते हैं कि ड्राइविंग से डरने वाली दमयंती ने किस तरह इस में हाथ आजमाना शुरू किया। दरअसल एक शर्त ने दमयंती को डर के करीब पहुंचाया और आज उसी डर से दमयंती ने जीत हासिल की। दरअसल एक बार दमयंती ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा कि खुले मैदान में 100 मीटर लोडर चलाकर दिखाओ तो वह इनाम देंगे। इस शर्त को दयमंती ने जीत लिया और अगली बार लोडर चलाकर 500 रूपए जीते। फिर पति की मौत के बाद दयमंती ने इसे ही जीने का जरिया बना लिया।
ढेरों पुरस्कार कर चुकी है अपने नाम
दमयंती सिर्फ इसी फील्ड में ही नहीं बल्कि वह पांच साल तक जनपद पंचायत सदस्य रह चुकीं हैं। कभी भी किसी की मदद करने की भी बात होती है तो दमयंती हमेशा ही आगे रहती है। उन्हें जूडो कराटे भी आते हैं और वह कईं बार तो बदमाशों की पिटाई कर चुकी हैं।
पति से मिली इस काम की प्रेरणा
कईं बार हमारी जिंदगी में हालात ऐसे बन जाते हैं कि हमें लगता है कि कोई हमारी कमजोरी का मजाक बना रहा है लेकिन अगर हम उसी कमजोरी को अपनी ताकत बना लें तो जिंदगी में हमेशा सफलता मिलती ही है और ऐसा ही कुछ हुआ दमयंती के साथ। आज उनके बच्चे बड़े हो गए हैं और दमयंती भी अपनी लाइफ में सफल है। वह इसके लिए पति को ही हमेशा से धन्यावाद करती है और उन्हीं की प्रेरणा को अपनी सफलता का कारण मानती है।
10 घंटे करती हैं काम
एक समय ऐसा था जब दमयंती ने यह काम अपने बच्चों का पेट पालने के लिए शुरू किया था और आज भी वह दिन में लगभग 10 घंटे तक काम करती हैं। ताकि वह अपना पेट पाल सके और बिना किसी के मदद के आजीविका चला सकें।
महिलाओं के लिए भी कर रहीं काम
दमयंती महिलाओं को भी इस काम का प्रशिक्षण दिया है वहीं वह पुरूषों को भी जेसीबी चलाना सीखा चुकी हैं। दमयंती के इस हौसले को हम भी सलाम करते हैं।