साइबर क्राइम को बढ़ावा देने के लिए अपराधी अधिकतर फेक डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। जहां एक तरफ फाइनेंशियल फ्रॉड और नकली सिम कार्ड के मुद्दे से निपटने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) नो योर कस्टमर (केवाईसी) मानदंडों में बदलाव की योजना बना रहा है, ताे वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु में नकली पहचान वाले 55,000 से अधिक सिम कार्ड के सक्रिय होने की जानकारी सामने आई है।
गृह मंत्रालय हुआ अलर्ट
पुलिस सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय के एक अलर्ट के बाद तमिलनाडु पुलिस ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को फर्जी पहचान के साथ कथित रूप से सक्रिय 55,982 सिम कार्ड ब्लॉक करने का आदेश दे दिया है। बताया जा रहा है कि इनमें से अधिकांश मोबाइल फोन नंबर चेन्नई में सक्रिय थे, इसके बाद कोयम्बटूर, मदुरै, तिरुचि और तिरुनेलवेली जैसे शहरों में सक्रिय थे।
ASTR की ली जा रही है मदंद
द हिंदू की खबर के मुताबिक साइबर क्राइम विंग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, संजय कुमार ने बताया कि एक चूक के कारण नकली पहचान वाले हजारों सिम कार्ड सक्रिय हो गए हैं। दूरसंचार विभाग ने बड़ी कार्रवाई के लिए चेहरे की पहचान-संचालित समाधान (ASTR) तकनीक को तैनात किया है। ASTR को पहचान के नकली प्रमाण के साथ सक्रिय सिम कार्ड का पता लगाने और हटाने के लिए उद्योग और अगली पीढ़ी के प्लेटफॉर्म में गेम चेंजर माना जाता है।
बड़ा खतरा हैं ये सिम कार्ड
संजय कुमार के मुताबिक पुलिस जांच में जुटी हुई है। एक व्यक्ति की फोटो पहचान में 436 मोबाइल फोन नंबर सक्रिय हैं। एक अन्य मामले में, एक बच्चे की फोटो के साथ एक नंबर सक्रिय किया गया है … ऐसे कुछ मामले हैं जिनमें एक व्यक्ति की फोटो के साथ 30-40 नंबर सक्रिय किए गए हैं, लेकिन अलग-अलग नाम हैं । पुलिस सूत्रों ने कहा कि नकली पहचान के साथ सक्रिय सिम कार्ड सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है क्योंकि इस तरह के नंबरों का इस्तेमाल अधिकांश साइबर अपराधों और आतंकी गतिविधियों में किया जाता था।