नारी डेस्क: बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर 2024 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वह 72 वर्ष की थीं और अपनी आवाज के जादू से भोजपुरी, मैथिली, और छठ के गीतों में एक अलग ही पहचान बना चुकी थीं। शारदा सिन्हा पिछले कुछ समय से मल्टीपल मायलोमा नामक गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, जिसके चलते उनकी हालत गंभीर हो गई थी। इस बीमारी के कारण ही उनका निधन हुआ। आइए, जानते हैं कि मल्टीपल मायलोमा क्या है, इसके शुरुआती लक्षण क्या होते हैं, और इसका इलाज कैसे किया जाता है।
मल्टीपल मायलोमा क्या है?
मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जिसे अस्थि मज्जा का प्लाज्मा कोशिका कैंसर भी कहा जाता है। इसमें शरीर की व्हाइट ब्लड सेल्स (जो आमतौर पर शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करती हैं) असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। ये असामान्य कोशिकाएं हड्डियों, किडनी और इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाती हैं। यह बीमारी अधिकतर वृद्धावस्था में पाई जाती है और हड्डियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है।
मल्टीपल मायलोमा के शुरुआती संकेत
मल्टीपल मायलोमा के लक्षण अक्सर शुरुआत में हल्के होते हैं और धीरे-धीरे गंभीर हो सकते हैं। इसके प्रमुख संकेतों में शामिल हैं:
हड्डियों में दर्द
मल्टीपल मायलोमा के कारण असामान्य रक्त कोशिकाओं का विकास हड्डियों में असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे हड्डियों में दर्द होता है। विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, छाती और पसलियों में दर्द महसूस होना एक सामान्य लक्षण है। यह दर्द हल्का से लेकर तीव्र हो सकता है और अक्सर दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करता है। इस दर्द के कारण व्यक्ति को सामान्य रूप से बैठने, खड़े होने या उठने में भी कठिनाई हो सकती है। हड्डियों में यह दर्द यह संकेत हो सकता है कि कैंसर ने हड्डियों को कमजोर करना शुरू कर दिया है, जिससे हड्डियों के टूटने और फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ जाता है।
मल्टीपल मायलोमा का इलाज
कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी एक प्रमुख इलाज विधि है, जिसका उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इसमें रसायनिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो असामान्य और कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती हैं, हालांकि यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित कर सकती है। इस प्रक्रिया से शरीर में संक्रमण और थकान की स्थिति बढ़ सकती है, लेकिन यह कैंसर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
रेडियोथेरेपी
रेडियोथेरेपी में रेडिएशन का उपयोग किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करता है। यह हड्डियों के दर्द को कम करने में भी सहायक है, खासकर तब जब मल्टीपल मायलोमा के कारण हड्डियां कमजोर हो जाएं। हालांकि, रेडियोथेरेपी के प्रभाव से व्यक्ति में त्वचा की जलन और थकावट हो सकती है।
इम्यूनोथेरेपी
इम्यूनोथेरेपी में दवाइयां दी जाती हैं जो इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर, शरीर की प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाती हैं ताकि वह कैंसर कोशिकाओं से लड़ सके। इस इलाज के दौरान शरीर में दवाओं का प्रभाव शरीर को बाहरी हमलों से बचाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में स्वस्थ स्टेम सेल को शरीर में डाला जाता है, जो रक्त कोशिकाओं की नवीनीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। इससे शरीर में नए और स्वस्थ रक्त कोशिकाएं बनती हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं और खून की कमी को दूर करने में मदद करती हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे गंभीर मामलों में ही अपनाया जाता है।
दवाइयां
मल्टीपल मायलोमा के इलाज में दवाइयां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दर्द को नियंत्रित करने के लिए पैरासिटामोल और ट्रामाडोल जैसी दवाइयां दी जाती हैं। इसके अलावा, हड्डियों को मजबूत बनाने वाली दवाइयां दी जाती हैं ताकि हड्डियों के फ्रैक्चर का जोखिम कम हो सके।
हड्डियों की सर्जरी
मल्टीपल मायलोमा के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में हड्डी की सर्जरी की जा सकती है, ताकि हड्डी के फ्रैक्चर को ठीक किया जा सके और व्यक्ति को दर्द से राहत मिल सके। यह सर्जरी तब की जाती है जब दवाइयों से समस्या का समाधान नहीं होता।
मल्टीपल मायलोमा कितनी खतरनाक है?
मल्टीपल मायलोमा एक घातक बीमारी है, जिसमें 5 साल का सर्वाइवल रेट केवल 40-50% ही होता है। यदि समय रहते इलाज शुरू नहीं किया जाता, तो 85% मरीज़ एक साल के भीतर ही इस बीमारी से निधन को प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, अगर निदान समय पर हो जाए और इलाज सही तरीके से किया जाए, तो 30% लोग 10 साल तक जी सकते हैं। इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए, सही उपचार और समय पर निदान इस बीमारी से बचाव के लिए बेहद आवश्यक है।
मल्टीपल मायलोमा एक गंभीर बीमारी है, और इसका सर्वाइवल रेट कम है। यदि बीमारी का सही समय पर निदान न हो, तो इसका इलाज मुश्किल हो सकता है। कुछ हेल्थ रिपोर्ट्स के मुताबिक
इस बीमारी का 5 साल का सर्वाइवल रेट लगभग 40 से 50% होता है। लगभग 85% मायलोमा के मरीज 1 साल के अंदर ही निधन हो जाते हैं।
हालांकि, यदि बीमारी का निदान समय पर हो जाए और उचित उपचार शुरू किया जाए, तो करीब 30% मरीज़ 10 साल तक जीवित रह सकते हैं।
मल्टीपल मायलोमा एक खतरनाक और जटिल बीमारी है, जो समय रहते सही उपचार से नियंत्रित की जा सकती है। शारदा सिन्हा जैसी महान हस्ती की इस बीमारी के कारण मृत्यु एक बड़ा शोक है, लेकिन उनके योगदान को लोग हमेशा याद रखेंगे। उनका निधन न केवल भोजपुरी और मैथिली संगीत जगत के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।