जब देश COVID-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा है, ऐसे समय में बिहार की राजधानी पटना की दो महिलाएं कोविड-19 मरीजों की मदद में लगी हुई हैं। 32 वर्षीय अनुपमा सिंह अपनी मां कुंदन देवी के साथ राजेंद्रनगर में अपने घर पर कोविड पॉजिटिव रोगियों के लिए खाना बनाती हैं। यही नहीं, उनकी 26 वर्षीय बहन नीलीमा सिंह कोरोना मरीजों के घरों में भोजन के पैकेट पहुंचाने का काम कर रही हैं।।
हाइजीन का रखती हैं पूरा ख्याल
नीलिमा और उनकी मां कुंदन इस बाद का पूरा ध्यान रखती हैं कि कोरोना मरीजों तक के लिए खाने के पैकेजिंग सुरक्षित हो और भोजन भी पोष्टिक हो। जब उनकी बहन भोजन के पैकेट स्कूटी पर देने के लिए जाती हैं तब वह उनके दो महीने के बच्चे की भी देखभाल करती है। वह इस बात का पूरा ख्याल रखती हैं कि खाना सफाई से बने, हाइजेनिक और हेल्दी हो।
UPSC की तैयारी कर रही नीलीमा
भोजन पहुंचाने के लिए नीलिमा रोजाना कम से कम 15 कि.मी. की यात्रा करती हैं। बता दें कि यह तीनों दूसरों के समर्थन के बिना पिछले एक हफ्ते से सेवा दे रहे हैं। नीलिमा ने कहा, "संकट में लोगों की सेवा करना मानवता की सेवा करने के बराबर है और मानवता की सेवा करना ईश्वर की पूजा करना है।" बता दें कि कोरोना काल में लोगों की मदद करने के साथ नीलीमा यूपीएससी की तैयारी भी करती हैं।
पूरा परिवार हो गया था कोरोना पॉजिटिव
अनुपमा से यह पूछे जाने पर कि उन्हें ऐसा करने के लिए क्या प्रेरित किया, उन्होंने कहा कि हाल ही में हाल ही में मेरा परिवार कोविड पॉजिटिव हो गया था। उन्होंने महसूस किया कि ये कितना कठिन दौर था। वे खाने के लिए परेशान थे इसलिए , हमने अपने खर्च पर मानवता की सेवा के रूप में अलग रहने वाले कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों के घरों में मुफ्त भोजन के पैकेट भेजना शुरू किया।
दोस्त भी बटांते हैं मदद के हाथ लेकिन...
बता दें कि अनुपमा एक्शन एड की पूर्व कर्मचारी हैं और उन्होंने इतिहास और महिला अध्ययन में डबल एमए किया है। वहीं, उनकी बहन ने अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन, एमबीए और एमएसडब्ल्यू किया है। नीलिमा ने बताया कि कभी-कभी उनके कुछ दोस्त खाने के पैकेट पहुंचाने में मदद कर देते हैं, लेकिन ज्यादातर समय वो अपने घर पर सुरक्षित रहना पसंद करते हैं।
सेवा में समर्पित की सारी जमा पूंजी
अनुपमा ने कहा, “हमने अपनी सारी बचत कोरोना मरीजों की सेवा के लिए समर्पित कर दी है। यह जमा पूंजी उन्होंने शादी, सालगिरा, जन्मदिन, कपड़े खरीदने और अगले एक साल के लिए घर के अन्य काम करने के लिए रखी थी, ताकि कोविड -19 रोगियों को मुफ्त भोजन परोसना जारी रखा जा सके।”
सोशल मीडिया से मदद मांगते हैं लोग
अनुपमा सिंह और नीलिमा सिंह को योगदान की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया। उन्हें सोशल मीडिया के जरिए मदद के लिए कॉल आती हैं। उनकी मानवीय सेवाओं से प्रभावित होकर, कई अन्य महिलाओं ने इस कठिन समय के दौरान जरूरतमंदों को खाना खिलाने का मिशन शुरू किया है।
कोरोना काल में बनी मसीहा
यह दो महिलाएं इस कोरोना काल में लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आई। वह खुद कोरोना से पॉजिटिव होने के दौरान ये समझीं कि इस समय खाने की कैसी दिक्कत होती है। ऐसे में वे लोग इस दौर में लोगों की मदद के लिए आगे आई हैं।