हिंदू धर्म में होली को एक बहुत ही पवित्र त्यौहार माना जाता है। दिवाली के बाद शायद होली ही एक ऐसा त्यौहार है जो लोग पूरी खुशी के साथ मनाते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार दो दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंग-बिरंगे रंगों के साथ लोग इसे मनाते हैं।
शुभ मुहूर्त
साल 2020 का होलिका दहन 9 मार्च और रंगों वाली होली 10 मार्च को खेली जाएगी। होलिका दहन का समय शाम 6 बजकर 22 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार?
होली का त्यौहार ब्रज क्षेत्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। होलिका दहन के बारे में बात करें तो इस दिन पूजा-अर्चना करके एक लकड़ी बीचो बीच रखी जाती है, जिसके बाद एक-एक करके और लोग भी लकड़ियां रखते हैं। फिर शुभ मुहूर्त देखते हुए लकड़ियों को आग लगाई जाती है। त्यौहार को लेकर काफी सारी पौराणिक कथाएं हैं, जिसमें सबसे ज्यादा प्रचलित भक्त प्रहलाद की कथा है। हिरण्यकश्यप नाम का एक इंसान हुआ करता था, जो खुद को भगवान से भी ऊपर समझता था। वह अपनी प्रजा को भी ऐसा ही करने का आदेश देता था। सभी उसके डर के कारण उसकी बात मानते थे। मगर उसका अपना ही बेटा उसकी इस बात के विरुद्ध था। जिसे लेकर वह अपने बेटे को मारने के कई रास्ते अपना चुका था। जिसमें से एक था होलिका दहन।
होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी। होलिका के पास एक ऐसा शॉल था, जिसे धरती की कोई भी अग्नि जला नहीं सकती थी। उस शॉल को ओड़कर और प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर होलिका अग्नि में बैठ गई। मगर उस दिन संसार को चौंका देने वाली घटना घटित हुई। होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद का आग कुछ नहीं बिगाड़ पाई। उस दिन से होलिका दहन पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत को लेकर मनाया जाने लगा।
तो इस वर्ष आप भी होलिका दहन मनाएं, और अपने जीवन में से बुराई को बाहर निकाल फेंक अच्छाई को जगह दें। होलिका दहन का एक और मुख्य उद्देश्य भी है, जिसका मतलब है, अगर आपने किसी का बुरा नहीं करना तो इसका मतलब यह नहीं खुद के साथ होता गलत आप चुप चाप देखते रहें। भले आपके रास्ते में कितनी भी कठिनाईयां आएं, डटकर उनका सामना करें और बुराई के खिलाफ अपना आवाज जरुर उठाएं।
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