![भगवान शिव को इसलिए प्रिय हैं बेलपत्र, ऐसे शुरु हुई थी शिवलिंग पर इसे चढ़ाने की प्रथा](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2023_12image_16_08_402407700mainbelpatra-ll.jpg)
भगवान शिव की प्रिय चीजों की बात करें तो उसमें सबसे पहले नाम बेलपत्र का आता है। यह बात तो सभी जानते हैं कि बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए बिना पूजा पूरी नहीं होती। ऐसा मान्यता भी है कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालुओं को मनवांछित फल देते हैं ऐसे में यदि आप भी शिवजी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो शिवलिंग पर बेलपत्र जरुर चढ़ाएं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवजी को बेलपत्र इतना प्रिय क्यों है? आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताते हैं कि शिवजी को बेलपत्र इतना पसंद क्यों है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है....
बेलपत्र का महत्व
बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी हुई होती हैं जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं भी प्रचलित हैं। तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव(सृजन, पालन और विनाश के देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव) तो कहीं तीन गुणों (सत्व, रज और तम) तो कहीं तीन आदि ध्वनियों (जिनकी सम्मिलित गूंज से ऊं बनता है) का प्रतीक माना जाता है। बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का प्रतीक भी माना जाता है।
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शिवलिंग पर क्यों चढ़ते हैं बेलपत्र?
जब समुद्र मंथन के बाद विष निकला था तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर काफी गरम हो गया जिसकी वजह से आस-पास का वातावरण भी जलने लगा क्योंकि बेलपत्र के प्रभाव को कम करता है इसलिए सारे देवी-देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरु कर दिया। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न हुई गर्मी शांत होने लगी। तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चली थी।
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बेल पत्र चढ़ाते समय ध्यान में रखें ये बातें
. शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही चढ़ाएं।
. बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करने से पहले इसे धोकर ही इस्तेमाल करें।
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. जब भी शिवजी को बेलपत्र चढ़ाएं तो इस बात का ध्यान रखें की बेलपत्र चढ़ाने के बाद जल जरुर चढ़ाएं।
. बेलपत्र चढ़ाते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।