नारी डेस्क: भारत में हरियाली की तस्वीर बदलने के लिए कभी-कभी सिर्फ एक बीज काफी होता है। और कई बार… सिर्फ एक इंसान। यह कहानी है Radhika Anand की एक ऐसी महिला की जिसने Mission Falvan नामक अपने संकल्प को न केवल जिया, बल्कि उसे एक राष्ट्रीय अभियान बना दिया।
2014: एक शांत सुबह और एक बड़ा सपना
2014 की एक सुबह राधिका आनंद के भीतर से एक अजीब सी पुकार उठी। न कोई तेज़ प्रेरणा, न नाटकीय पल… बस एक सरल सोच “मुझे पूरे भारत में फलदार पेड़ लगाने हैं।” यहीं से जन्म हुआ Mission Falvan का एक ऐसा अभियान, जो सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि पक्षियों, जानवरों और हर जीव के लिए था। लेकिन सफर आसान नहीं था। Delhi ने पूछा “ज़मीन कहां है? The Centre ने कहा “कई राज्यों में पानी की कमी है।” और FICCI ने कॉफ़ी के साथ हल्की सी मुस्कान दे दी। पर राधिका रुकी नहीं।
ट्रेन की एक मुलाकात जिसने कहानी की दिशा बदल दी
Chandigarh जाने वाली Shatabdi में एक Army Officer के साथ उनकी आकस्मिक मुलाकात ने पूरा खेल बदल दिया। कॉफ़ी के एक कप ने बातचीत शुरू करवाई और राधिका ने हिम्मत करके अपना ‘अजीब-सा आइडिया’ उन्हें बता दिया। अगले ही दिन बुलावा आया Chandimandir HQ से। यहां Lt. General K.J. Singh ने मुस्कुराकर कहा “भारतीय सेना आपका साथ भागीदारी करना चाहेगी।” यह सुनकर राधिका को लगा मानो सांसें थम जाएं।
2015: 85,000 पौधे—पहला कदम, पहली आस्था
राधिका ने बिना किसी हिचक के 85,000 फलदार पौधे खरीदे वह भी पूरे दाम पर। Punjab, Himachal और बॉर्डर एरिया में Army bases पर पहला रोपण हुआ। प्रत्येक पौधा लगाते समय वह एक छोटी-सी दुआ करतीं। वह कहती हैं “ऐसा लगता था जैसे अपनी आत्मा का एक हिस्सा मिट्टी में रख रही हूं।” जड़ें बचपन में ही बो दी गई थीं राधिका की कहानी अचानक शुरू नहीं हुई। उनका बचपन प्रकृति के बीच बीता दादा थे forest officer पिता botanist और फिर Indian Air Force में अधिकारी। कम खर्च, बचत और पर्यावरण के प्रति प्रेम… ये सब उनके भीतर पहले से था।
2016–2018: मिशन बना एक आंदोलन
धीरे-धीरे उनका प्रयास बड़ा आंदोलन बन गया। उनके ससुर K.R. Anand ने CSR से समर्थन दिया। NSG के DG Sudhir Pratap Singh ने पूछा—“Will you plant for me?” यहीं से NSG से जुड़ाव शुरू हुआ। फिर CISF और BSF ने भी उन्हें अपनाया। उन्हें Green Ambassador की उपाधियाँ मिलीं।

राधिका कहती हैं “तीन बड़ी paramilitary forces ने मेरा मिशन अपना लिया। यह मेरे लिए अविश्वसनीय था।” 2019–2021: रेगिस्तान, महामारी और शहीदों को समर्पण अब मिशन की रफ्तार तेज हो गई। हर साल 50,000 से 1,00,000 तक पौधे लगाए जाने लगे। उन्होंने Thar Desert के कठिन इलाकों तक रोपण पहुंचाया Bikaner, Jodhpur, Barmer, Jaisalmer… सीमा तक। COVID के दौरान वे रुकी नहीं उन्होंने ऑनलाइन पर्यावरण प्रशिक्षण शुरू किया। 2021 में उन्होंने Longewala War Memorial को समर्पित plantation किया 1971 के वीरों की याद में।
2022: लेह में एक भावनात्मक पल
सात साल बाद जब वह अपने लगाए पेड़ों से मिलने Ladakh पहुंचीं, तो उन्हें पहचान न पाईं। एक अधिकारी ने कहा “Ma’am, ये पेड़ आपके ही लगाए हुए हैं।” उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने पेड़ों को छूकर कहा “Sorry… माँ तुम्हें पहचान नहीं पाई।” उसी साल उन्हें National Defence College में भाषण देने का सम्मान मिला।

2023–2025: एक दिन में 1,50,500 पौधे ऐतिहासिक रिकॉर्ड
10 मार्च 2023 को CISF के साथ उन्होंने एक दिन में पूरे देश में 1,50,500 पौधे लगाने का रिकॉर्ड बनाया। Army, CISF, BSF – सब उनके साथ खड़े हो गए। उन्हें Vice Chief of Army Staff’s Commendation Card मिला। Army ने उन्हें कहा “One Woman Army” 2025 में BSF ने baton थामा। उन्होंने फिर एक बड़ा plantation पूरा किया। और अब Indian Navy भी इस अभियान से जुड़ चुकी है।
एक महिला, एक सपना और 10 लाख पौधे
आज Mission Falvan पूरे भारत में 10 लाख से अधिक पौधों को छू चुका है। यह अभियान Army, Navy, Air Force, NSG, CISF, BSF, SSB, NDRF, NCC सभी का अभियान बन चुका है। इसके बीज Sri Lanka, Indonesia, Uzbekistan, Bangladesh और Australia तक फैल चुके हैं। आखिरी शब्द – एक साधारण इच्छा, असाधारण प्रभाव राधिका कहती हैं

“मैंने कभी पेड़ों की गिनती नहीं की। मैं बस लगाती गई। अगर जीवन का आखिरी काम चुनना पड़े तो मैं एक और पेड़ लगाऊंगी।” एक ट्रेन यात्रा से शुरू हुआ विचार… आज एक राष्ट्रीय हरियाली आन्दोलन बन चुका है।
Mission Falvan ने साबित कर दिया एक व्यक्ति भी दुनिया बदल सकता है।