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कहीं आपको भी तो नहीं एनीमिया, जानें इसके कारण और बचाव

  • Edited By Shiwani Singh,
  • Updated: 31 Oct, 2021 09:30 PM
कहीं आपको भी तो नहीं एनीमिया, जानें इसके कारण और  बचाव

रक्त अल्पता या एनीमिया एक रोग है जिसमें रक्त के लाल कणों में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। हीमोग्लोबिन लौह एवं प्रोटीन के द्वारा निर्मित होता है, भारत में मुख्यत: एनीमिया रक्त के लाल कणों में लौह तत्व अथवा फोलिक एसिड की कमी से होता है। एक स्वस्थ मनुष्य के रक्त में 13 से 14 ग्राम हीमोग्लोबिन होना चाहिए। यदि बालकों में 11 या 12 ग्राम, वयस्क पुरुषों में 13 ग्राम एवं महिलाओं में 12 ग्राम से कम मात्रा में हीमोग्लोबिन पाया जाए तो इसे रक्त अल्पता कहा जाता है।

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महिलाओं में अधिक रक्त स्राव व बार-बार संतान जन्म से भी एनीमिया या रक्त अल्पता की स्थिति पैदा हो जाती है। देश में लोगों के पेट में कीड़ों की बीमारी पाई जाती है। यह कीड़े आंतों में रहकर खून चूसते रहते हैं जिससे शरीर में खून की कमी पाई जाती है। बार-बार मलेरिया व अन्य रोगों जैसे बवासीर, गुर्दे में पथरी, नकसीर आदि बीमारियों से भी रक्त अल्पता की स्थिति बन जाती है। 

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स्त्रियों के गर्भधारण काल, प्रसव व मासिक धर्म व बच्चों की शारीरिक वृद्धि के कारण भी लौह तत्व की आवश्यकता अधिक पड़ती है। इस समय यदि भोजन में लौह तत्वों की पर्याप्त मात्रा न दी जाए तो एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है।

रक्त में आक्सीजन ले जाने की क्षमता होती है। जैसे ही इस क्षमता में कमी आती है अनेक लक्षण प्रकट हो जाते हैं। जैसे शरीर में दर्द, जल्दी थकान हो जाना, सांस फूलना, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना, सिरदर्द होना, नींद कम आना, आंखों की रोशनी कम होना इत्यादि।

बचाव कैसे हो?

ज्यादातर लोगों के पास इतना धन नहीं होता कि वह ऐसे पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें जिससे रक्त अल्पता की स्थिति न आए। जिन परिवारों में भोजन प्रचूर मात्रा में उपलब्ध भी है तो भी एनीमिया पाया गया है। कारण यह है कि लोगों को स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थों के बारे में जानकारी नहीं है। रक्त के निर्माण में प्रोटीन युक्त, लौह तत्व युक्त पदार्थों, विटामिन व खनिज पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है।

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गेहूं व चावल क्रमश: उत्तर व दक्षिण भारत का प्रमुख भोजन है। यह रक्त निर्माण हेतु अधिक उपयुक्त नहीं है। मांस, अंडा, मछली, दालों, हरी सब्जियों, फलों, आंवला इत्यादि में यह तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। मांसाहारियों को मांस, अंडे व मछली के अतिरिक्त प्रचूर मात्रा में हरी सब्जियों व फलों का प्रयोग करना चाहिए। शाकाहारियों को रोटी, चावल के अलावा अधिक मात्रा में दालों व हरी सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए।

फलों को स्वाद के आधार पर न खाएं, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से खाएं। गर्भवती महिलाओं, गर्भधारण करने योग्य महिलाओं तथा बच्चों के भोजन में उपरोक्त चीजों की मात्रा सामान्य से ज्यादा होनी अत्यंत आवश्यक है। 

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