विवाहित महिलाओं का सबसे खास पर्व करवाचौथ इस साल 1 नंवबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चांद्रदेव की पूजा करके पति के लंबे उम्र का आशीर्वाद मांगती हैं। करवाचौथ के दिन व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। मान्यता है कि इससे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। आइए आपको बताते हैं करवा चौथ की ये कथा...
करवा चौथ की व्रत कथा
करवाचौथ की कथा करवा माता की अपने पति के प्राणों की रक्षा की कहानी है। करवा माता पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। एक दिन स्नान करते समय एक मगरमच्छ ने करवा माता के पति के पैर पकड़ लिया। ये देखकर करवा एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को पेड़ से बांध दिया। करवा माता के सतीत्व के बल के कारण मगरमच्छ धागे को तोड़ नहीं पाया।
करवा माता ने यमराज से अपने पति के प्राणों की रक्षा करने की प्रार्थना करने लगी। यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है, लेकिन उनके पति की आयु पूरी हो चुकी है। यह सुन करवा माता ने कहा अगर आप मेरे पति को अपने साथ ले गए तो आपको श्राप दे दूंगी। श्राप से भयभीत यमराज ने करवा माता के पति को जीवनदान दे दिया।
इसलिए करवा चौथ के दिन महिलाएं करवा माथा की तरह अपने सुहाग की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं। करवा माता की तरह ही सावित्री ने भी अपने पति सत्यवान को कच्चे धागे से लपेट कर रखा था, जिसके कारण यमराज सत्यवान को अपने साथ यमलोक नहीं ले जा पाए थे। करवाचौथ के दिन करवा चौथ व्रत कथा पढ़ने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।