नारी डेस्क: हर माता- पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा काबिल बने और उसे दुनिया की सारी खुशियां मिले। कई बार माता- पिता को दिल में पत्थर रखकर बच्चे के अच्छे करियर के लिए उसे घर से दूर भेजना पड़ता है जो आसान निर्णय बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में उनके मन में ख्याल आता रहता है बच्चे को खुद से दूर रखने का उनका फैसला सही है या गलत। अगर आपके मन में यही सवाल है तो पहले ये खबर अच्छे से पढ़ लें।
बच्चों को घर से दूर रखने के फायदे
आत्मनिर्भरता होता है विकसित: घर से दूर रहकर बच्चे अपने कार्य खुद करना सीखते हैं, जो उनकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।
नए अनुभव और चुनौती: अलग माहौल में रहने से बच्चों को नए अनुभव और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका मानसिक विकास होता है।
करियर पर फोकस: दूर रहने से वे पढ़ाई और करियर के प्रति अधिक समर्पित हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें घर के कामों और ध्यान भटकाने वाले कारकों से दूर रखा जाता है।
व्यावहारिक ज्ञान: अलग-अलग क्षेत्रों से मिलने वाले दोस्त और सामाजिक अनुभव उन्हें व्यावहारिक और सामाजिक रूप से अधिक परिपक्व बनाते हैं।
बच्चों को घर से दूर रखने के नुकसान
भावनात्मक दूरी: घर से दूर रहने पर बच्चे परिवार से भावनात्मक रूप से दूर हो सकते हैं, जिससे उनमें अकेलापन और असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है।
संस्कार और पारिवारिक मूल्य: बच्चों को घर में रहकर परिवार से जो पारंपरिक और सामाजिक मूल्य सीखने मिलते हैं, वे कहीं न कहीं कम हो सकते हैं।
उच्च तनाव और दबाव: कई बार बच्चे नए माहौल में आसानी से नहीं ढल पाते हैं, जिससे तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अपराध या गलत संगत का खतरा: दूर रहकर बच्चों को उचित मार्गदर्शन न मिलने पर वे गलत संगत में पड़ सकते हैं, जिससे उनके करियर और व्यक्तित्व पर बुरा असर पड़ सकता है।
निर्णय कैसे करें?
छोटे बच्चों के लिए घर के पास शिक्षा और करियर विकल्प तलाशना बेहतर होता है, जबकि बड़े और अधिक परिपक्व बच्चों को बाहर भेजा जा सकता हैयह देखना जरूरी है कि बच्चा मानसिक रूप से इस बदलाव के लिए तैयार है या नहीं। यदि बच्चे को दूर भेजा जाता है तो नियमित संपर्क और वीडियो कॉल के माध्यम से जुड़ाव बनाए रखना जरूरी है। नए स्थान पर बच्चे के लिए अच्छे मित्र, शिक्षक, या अन्य समर्थन उपलब्ध हों तो उनका मार्गदर्शन प्राप्त करना आसान हो जाता है। इस प्रकार बच्चों को घर से दूर रखना कई बातों पर निर्भर करता है और इसका निर्णय बच्चे की भलाई और उसके व्यक्तित्व के विकास को ध्यान में रखकर लेना चाहिए।