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भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट, 101 साल की उम्र में भी कर रही है लोगों का इलाज

  • Edited By shipra rana,
  • Updated: 29 Sep, 2019 04:14 PM
भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट, 101 साल की उम्र में भी कर रही है लोगों का इलाज

आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जहां महिलाओं ने अपनी पहचान न बनाई हो, फिर चाहे बात डॉक्टर की हो या वकील की। बात अगर डॉक्टरी प्रोफेशन की करें तो आज कई महिलाएं है जो अलग-अलग बीमारियों की स्पैशलिस्ट है, खासकर दिल की बीमारियों की। एक समय ऐसा भी था जब दिल से संबधी बीमारियों का इलाज करने के लिए कोई भी महिला डॉक्टर मौजूद नहीं थी। उस समय डॉक्टर शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती भारत की सबसे पहली कार्डियोलॉजिस्ट बनी और महिलाओं के लिए नई मिसाल कायम की। आज भारत में पुरुषों की तुलना में 4,500 से अधिक महिला कार्डियोलॉजिस्ट है।

 

USA से पूरी की कार्डियोलॉजी की पढ़ाई

उनका जन्म 20 जून 1917, बर्मा (मयंमार) में  हुआ था। बर्मा-जापान युद्ध की वजह से उन्हें वो जगह छोड़नी पड़ी। अपने पिता और भाई को छोड़ कर पद्मावती अपनी मां और चार बहनों के साथ भारत आ गई। द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने पर वह अपने पिता और भाइयों के साथ रहने लगी ।फिर वो अपनी पढ़ाई  पूरी करने के लिए यूनाइटेड-किंगडम चली गई और कार्डियोलॉजी पढ़ने के लिए वो यूएसऐ गई। पढ़ाई पूरी होने के बाद वो भारत चली आई। 

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टीचर की जाब से की शुरूआत

जैसे ही वो भारत में आई उन्हें लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा की शिक्षिका की नौकरी हासिल हुई। वो इस काम को छोटा नहीं मानती थी मगर उन्हें कुछ बड़ा करना था। फिर उन्होंने उत्तर भारत में कार्डियोलॉजी विभाग का निर्माण किया, उस समय भारत में व्याप्त बीमारियों पर बहुत शोध किया, जैसे आमवाती हृदय रोग जिसे आज एक बहुत बड़ी कामयाबी मानी गई है। 

गरीबों के लिए खोला हार्ट इंस्टीट्यूट

भारत में हर साल कई लोग दिल की बीमारियों से मर जाते हैं। उनमें से कई लोग तो ऐसे भी होते हैं जो पैसों की कमी के चलते अपना इलाज नहीं करवा पाते। इसके समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने एक 'हार्ट इंस्टीट्यूट' की स्थापना की, ताकि कोई भी पैसों की कमी चलते इस बीमारी से अपना जान न गवाए। इतना ही नहीं, वह फ्रेंच स्टूडेंट्स के साथ मिलकर हार्ट डिसीज पर रिसर्च भी कर रही हैं।

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भारत में खोले कई लैब

डॉ पद्मावती ने पहले कार्डियोलॉजी क्लिनिक और कैथेटर लैब की स्थापना की, पहला भारतीय चिकित्सा स्कूल-आधारित कार्डियोलॉजी विभाग और भारत का पहला हृदय फाउंडेशन का भी निर्माण किया। 

101 साल की उम्र में भी कर रहीं है लोगों का इलाज

वह इस साल जून में 101 साल की हो गईं। फिर भी वो अपने पेशेंट्स का इलाज करती है। उनके पास आज भी बहुत से लोग चेकअप के लिए आते है। 

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