वैश्विक स्तर पर पैदा होने वाले 15 मिलियन बच्चों में से लगभग 1/5 बच्चे भारत में जन्म लेते हैं। जिनमें से 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का मुख्य कारण समय से पहले पैदा होना होता है। नवजात शिशु को चिकित्सा देखभाल और सुविधाओं की बहुत जरुरी होती हैं। लेकिन बहुत से लोग नवजात के स्वास्थ्य के प्रति बिल्कुल भी जागरुक नहीं है। उन्हीं लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल एनआईसीयू (नेशनल नियोनेट इंटेंसिव केयर) अवेयरनेस का महीना सितंबर में मनाया जाता है। यह महीना एनआईसीयू में आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरुकता बढ़ाने का प्रयास करता है। जब कोई भी बच्चे समय से पहले ही पैदा हो जाता है या फिर प्रसव के दौरान बीमार होता है तो उसे एनआईसीयू में रखा जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि यह महीना क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कैसे हुई...
एनआईसीयू में रखा जाता है नवजात शिशु
जब बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं तो उन्हें एनआईसीयू में रखा जाता है। यहां पर इनको सबसे ज्यादा समय बिताने की जरुरत होती है। एनआईसीयू में प्रशिक्षित नर्सें समय से पहले हुए बच्चों की हर समय अच्छे तरीके से देखभाल करती है। इन बच्चों के साथ काम करने वाले डॉक्टरों की नियोनेटोलॉजिस्ट कहते हैं। एक शोध के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में पैदा होने वाले लगभग 15 प्रतिशत बच्चों को एनआईसीयू देखभाल की जरुरत होती है।
कैसे हुई मनाने की शुरुआत?
प्रोजेक्ट स्वीट पीज ने 2014 में राष्ट्रीय नवजात गहन देखभाल के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए इस महीने की शुरुआत की थी। एनआईसीयू के साथ स्वंयसेवकों में प्रोजेक्ट स्वीट पीज भी शामिल है। यह लोग समय से पहले पैदा होना बीमार बच्चों के परिवारों को सहायता प्रदान करते हैं।
कौन से शिशुओं को होती है देखभाल की ज्यादा जरुरत?
एनआईसीयू में रखे गए ज्यादातर बच्चे प्रीटरम जन्म के समय कम वजन के होते है। इन बच्चों को विशेष देखभाल की जरुरत होती है। इनमें से कई बच्चों को वजन कम भी होता है। जुड़वां, ट्रिपल और अन्य गुणकों के कारण भी बच्चों को एनआईसीयू में भर्ती करवाया जाता है। क्योंकि वह बच्चे समय से पहले जन्मे होते हैं । इसके अलावा जिन बच्चों को सांस लेने में तकलीफ, हृदय की समस्या, संक्रमण या जन्म दोष जैसी स्वास्थ्य समस्याएं है, उन शिशुओं की भी एनआईसीयू में देखभाल की जाती है।
इन समस्याओं के कारण हो सकता है जोखिम
गर्भावस्था में इन कारकों के कारण बच्चों को एनआईसीयू में भर्ती करवाने की जरुरत पड़ सकती है। जैसे
. 16 वर्ष से कम या फिर 40 वर्ष से ज्यादा आयु को होना
. नशीली दवाईयों या फिर शराब का सेवन करना
. मधुमेह होने से
. खून बहना
. यौन संचारित रोगों के कारण
. एकाधिक गर्भावस्था के कारण