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बिना सेब के शूटिंग शुरू नहीं करती थी ये एक्ट्रेस, बेटी से नाराज लाइमलाइट से रहती हैं दूर

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 26 Apr, 2022 01:40 PM
बिना सेब के शूटिंग शुरू नहीं करती थी ये एक्ट्रेस, बेटी से नाराज लाइमलाइट से रहती हैं दूर

अपने जमाने की फेमस अभिनेत्रियों की बात करें तो उन्हें माला सिन्हा भी शामिल रही हैं। वह एक नेपाली-भारतीय हैं जिन्हें हिंदी के अलावा बांगला और नेपाली फिल्मों में भी काम किया। 1950 से लेकर 70 के दशक तक वह हिंदी फिल्मों की प्रमुख अभिनेत्री रहीं थी और करीब 100 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने काम किया लेकिन माला सिन्हा अपनी पर्सनल लाइफ और अपनी अनोखी आदत को लेकर खूब सुर्खियों में रही थी।

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11 नवंबर 1936 को पैदा हुई माला सिन्हा एक नेपाली परिवार से हैं। उनके पिता अल्बर्ट सिन्हा एक ईसाई थे और मां नेपाली थी।  माला के पिता अल्बर्ट सिन्हा बंगाल से थे और मां नेपाल की रहने वाली इसीलिए लोग उन्हें नेपाली-भारतीय बाला कहते थे।   माला की मां ने उन्हें आल्डा नाम दिया था और जब उन्हें सब आल्डा डाल्डा कहकर चिढ़ाने लगे तो मां ने उनका नाम बदलकर माला कर दिया। 

 

माला सिन्हा ने धर्मेंद्र, किशोर कुमार जैसे बड़े स्टार के साथ काम किया और कई हिट फिल्में दी लेकिन फिल्म की शूटिंग से पहले माला अपनी एक आदत को लेकर काफी मशहूर थीं। 

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दरअसल, माला को शूटिंग से पहले सेब खाने की आदत थी। बिना सेब खाए वे शूटिंग शुरू नहीं करती थी भले ही सुबह का शेड्यूल शाम हो जाए लेकिन जब तक उन्हें सेब नहीं मिलता था वो तैयार होने के बावजूद शूटिंग के लिए नहीं जाती थीं। जी हां, इस बात का जिक्र रामानंद सागर की बायोग्राफी में किया गया है। 

 

किताब की मानें तो माला सिन्हा अपने मेकअप रूम में हर दिन एक सेब चाहती थीं। शूट तब तक शुरू नहीं होता जब तक सेब उनके पास नहीं पहुंच जाता। कभी-कभी प्रोडक्शन वालों की समस्याओं के कारण सेब पहुंचाने में कुछ घंटों की देरी होती थी लेकिन माला सेट पर दिखाई नहीं देती थीं। एक दिन, 'गीत' के सेट पर सुबह की शिफ्ट शाम के 4 में बदल गई लेकिन वे अपने मेकअप रूम में ही तैयार होकर बैठी रहीं।'

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साल 1946 में माला सिन्हा ने जय वैष्णो देवी नाम की बंगाली फिल्म में चाइल्ड आर्ट‍िस्ट के रूप में एक्ट‍िंग डेब्यू किया था । बंगाली फिल्मों से अपने सफर की शुरुआत करने वाली माला फिल्मों से पहले रेडियो पर गाया करती थीं। उन्हें किसी से सलाह दी कि वह एक्टिंग की तरफ जोर थे तो उन्हें सफलता मिलेगी और वह पिता के साथ मुंबई की ओर निकल पड़ी। वह एक निर्माता से मिलने पहुंची और एक घंटे के इंतजार के बाद निर्माता ने उनकी बेइज्जती करते हुए कहा कि पहले अपनी शक्ल शीशे में तो देखो, इतनी भौड़ी नाक लेकर हीरोइन बनने का सोच रही हो! इन कठोर शब्दों ने माला का दिल तो तोड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 

 

बंगाली फिल्मों में उन्हें मौका तो मिला लेकिन खास पहचान नहीं लेकिन कड़े संघर्ष करते हुए वह अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री गीता बाली से मिली जिन्होंने माला को निर्देशक केदार शर्मा से मिलवाया। कहा जाता है कि माला के करियर को आगे बढ़ाने में केदार शर्मा ने बहुत मदद की। उन्होंने अपनी फिल्म रंगीन रातें में बतौर अभिनेत्री काम दिया। सपनों की नगरी ने उन्हें पहचान दी जहां उनकी एक दिन मुलाकात गुरुदत्त से हो गई।

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गुरुदत्त ने माला को फिल्म में लेने का मन भी बना लिया था। उन्होंने  फिल्म 'प्यासा' के लिए कास्ट किया था। इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता गुरुदत्त ही थे। फिल्म रिलीज हुई और हिट हो गई। इस तरह उन्हें पहचान मिली और फिल्मों की लाइन लग गई। इस तरह एक्ट्रेस ने खूब पैसा भी कमाया और नाम भी...इसी से जुड़ा एक किस्सा और भी है।

 

खूब पैसा कमाने वाली इस एक्ट्रेस के बारे में कहा जाता था कि वो बेहद कंजूस थीं। उस समय यह खबरें सुर्खियों में होती थी कि नौकरों पर पैसा खर्च करने की बजाए माला सिन्हा खुद अपने घर का सारा काम आप करती थीं।

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एक बार उनके घर मुंबई स्थित घर पर इनकम टैक्स का छापा पड़ा था। इस दौरान उनकी बाथरूम की दीवार से 12 लाख रुपए बरामद हुए थे। और उस जमाने में इतने रुपए बहुत मायने रखते थे और जब इनकम टैक्ट के अधिकारी द्वारा इस पैसे को जब्त की जाने की बात की गई तो एक्ट्रेस ने अपने पैसे बचाने के लिए अदालत में बेहद हैरान करने वाला ब्यान लिखकर दे डाला था जिसे सुन कर ही लोग दंग रह गए थे। पैसे बचाने के माला सिन्हा ने लिखकर दिया था कि उन्होंने वेश्यावृत्ति करके यह रुपये कमाए हैं।

 

ऐसा भी कहा जाता है कि माला सिन्हा के पिता अल्बर्ट इन पैसों को हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे इसलिए उन्होंने वकील की सलाह अपनाई थी और माला सिन्हा ने ये बयान दिया था। इसके बाद माला सिन्हा की छवि पर प्रभाव पड़ा लोग उन्हें गलत निगाह से देखने लगे थे।

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पर्सनल लाइफ की बात करें तो माला भले ही कितनी बड़ी एक्ट्रेस क्यों ना बन गई हो लेकिन अपने पिता से वह बहुत डरती थी। वह काम के बाद घर आकर सादगी में रहती थी। उनकी मां उन्हें घरेलू लड़की ही मानती थी जो स्टार-स्टेटस घर से बाहर ही छोड़कर आती थी। रसोई में खाना बनाना और मेहमानों की खातिरदारी करना माला के शौक थे। 

 

माला 'माइती घर' नाम की एक नेपाली फिल्म में काम कर रही थी और एक गीत की रिकॉर्डिंग के सिलसिले में चिदम्बर प्रसाद लोहानी मुंबई आए जो कि नेपाली एक्टर ही हैं। वह माला के घर ही पहुंचे। माला के पिता उसे मन ही मन पसंद करते थे और दामाद बनाना चाहते थे वहीं प्रसाद को भी माला काफी पसंद थी । पिता के कहने पर माला सिन्हा ने नेपाली एक्टर चिदम्बर प्रसाद लोहानी से शादी रचा ली थी। शादी 3 रिवाजों से हुई। कोर्ट मैरिज, क्रिश्चियन और नेपाली रीति-रिवाज से।माला और चिदम्बर की एक बेटी है जिसका नाम प्रतिभा सिन्हा है। प्रतिभा भी मां की तरह फिल्मी नगरी में आई लेकिन बुरी तरह फ्लॉप हो गईं। प्रतिभा सिन्हा आखिरी बार 2000 में आई फिल्म 'ले चल अपने संग' में नजर आई थीं। फिल्म राजा हिंदुस्तानी में उनके ऊपर फिल्माया गया गाना 'परदेसी परदेसी...' आज भी लोगों को याद है। कहा जाता है कि एक्ट्रेस अपनी बेटी की असफलता से इतना निराश हो गई थी कि उन्होंने खुद को लाइमलाइट से पूरी तरह से दूर कर दिया था। फिलहाल अब वो अपनी बेटी के साथ मुंबई में कही रह रही हैं।

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एक बार माला सिन्हा ने जीनत अमान और परवीन बॉबी पर ऐसा कमेंट कर दिया था जिसे सुनकर दोनों ही अभिनेत्रियां नाराज हो गई थीं। उन्होंने कहा था कि वह अभिनेत्रियां कम और मॉडल ज्यादा हैं। मॉडल के पास दिखाने के लिए सिर्फ शरीर होता है।

 

माला सिन्हा 1985 तक वह लगातार काम करती रहीं। 1985 में “दिल तुझको दिया” के बाद माला को लगा कि बढ़ती उम्र और ग्लैमर के अभाव में उनका जमाना अब खत्म हो रहा है और वह मां और दीदी जैसे कैरेक्टर रोल नहीं चाहती थीं इसलिए उन्होंने फिल्मों में ब्रेक ले लिया। आज वह लाइमलाइट और फिल्मी नगरी से दूर गुमनामी की जिंदगी जी रही हैं।

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