कई बार बच्चों के सब कुछ खाने के बावजूद उनकी सेहत नहीं बनती। ऐसे में माता-पिता का चिंता करना जायज है। यदि आपके बच्चे में इस तरह के लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि हो सकता है शायद आपका बच्चा क्षय रोग यानि सूखे रोग का शिकार हो। डॉक्टर को दिखाने के साथ आप घर पर भी कुछ उपायों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्या है सूखा रोग?
सूखा रोग (रिकेट्स osteomalacia) हड्डियों का रोग है, जिससे बच्चों की हड्डियां नरम और कमजोर होने लग जाती हैं और कमजोर हड्डियों के साथ बच्चों का विकास रुक जाता है। अस्थिविकार होकर पैरों का टेढ़ापन और मेरूदंड में असामान्य मोड आ जाते हैं। यह रोग शरीर में विटामिन डी, फॉस्फेट और कैल्शियम की कमी से होता है।
सूखा रोग होने का कारण
सूखा रोग 36 महीने की उम्र से लेकर 6 वर्ष की उम्र तक के बच्चों में आम हैं। यह उन क्षेत्रों में बहुत आम है जहां कम धूप होती है और बच्चे सिर्फ शाकाहारी भोजन खाते हैं। क्षय या सूखा रोग हमेशा पोषक तत्वों की कमी का परिणाम नहीं होता, यह गलत पोषक तत्वों या संक्रमण के कारण पोषक तत्वों को अवशोषित या संसाधित करने में असमर्थता के कारण भी हो सकता है।
इससे बचने के घरेलू उपाय
सूखा रोग होने पर बच्चा दिन-प्रतिदिन निर्बल होता चला जाता है। उसके हाथ-पांव सूख जाते हैं। पेट बढ़कर आगे की ओर निकल आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुपोषण अथवा सन्तुलित आहार के अभाव में इस रोग की उत्पत्ति होती है।
पपीता
बच्चे को सुबह-शाम दो-दो चम्मच की मात्रा में पपीते का रस निकालकर पिलाना चाहिए।
जामुन और सिरका
एक चम्मच जामुन का रस आधा चम्मच सिरके में मिलाकर चार खुराक बना लें। इसे दिनभर में बच्चे को चार बार पिलाएं।
बैंगन
बच्चे को लम्बे बैंगन की सब्जी चने की रोटी के साथ खिलानी चाहिए।
पीपल और सौंफ
छोटी पीपल को सौंफ के अर्क में घिसकर बच्चें को चटाने से उसकी पाचन तंत्र प्रणाली स्ट्रांग बनती है।
मकोय और कपूर
मकोय के पत्तों का रस एक चम्मच लेकर उसमें दो रत्ती कपूर मिला लें। इसकी दो खुराक करके सुबह-शाम चटाएं।
अपामार्ग और दही
दो रत्ती अपामार्ग का क्षार दही में मिलाकर बच्चे को खिलाने से इस बिमारी में लाभ मिलता है।