गृहिणियां परिवार के सदस्यों से हमेशा एक ही वाक्य सुनती हैं कि घर में दिनभर करती क्या हो? चूंकि घर संभालने और व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही होती है, इसलिए इन परिस्थितियों का सामना प्राय: हर महिला करती है। गृहिणियों से यह उम्मीद इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि वे पूरा दिन घर में ही बिताती हैं। अपनी जिम्मेदारियों को सही तरह से निभाने के लिए यदि महिलाएं घरेलू काम की भी एक योजना बनाकर चलें तो उनकी मुश्किलें एकदम आसान हो जाएंगी।
बनिए समय की पाबंद
किसी भी कार्य के लिए समय की पाबंदी बहुत जरूरी है। आप घर में हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि काम दिनभर फैला रहे। हर काम का वक्त निश्चित करें और उसके अनुसार ही चलें।
तय कीजिए प्राथमिकता
यह बहुत साधारण सी बात है लेकिन व्यवहार में इसे बहुत कम लोग उतार पाते हैं। यदि सुबह किसी को जल्दी जाना हो तो सफाई के पहले नाश्ता तैयार कर लें। आपको कपड़े भी धोने हैं और बाहर भी जाना है तो सभी कपड़े धोने की बजाय उस दिन सिर्फ जरूरी कपड़े ही धो लें।
बनाइए रूपरेखा
दिमाग में एक खाका बना होने से काम आसान हो जाता है। पूरे दिन का कार्यक्रम सुबह ही तय कर लें। जैसे शाम को शॉपिंग पर जाएंगी, दोपहर में बच्चों को होमवर्क कराना है या किसी सहेली के यहां जाएंगी।
तैयारी पहले करें
यदि बच्चे छोटे हैं, तब तुरंत काम करना कठिन होता है। बच्चों की ड्रैस, बैग आदि रात को ही तैयार कर दें। यदि सुबह कोई विशेष नाश्ता या सब्जी बना रही हैं तो उसकी आवश्यक तैयारी भी रात को ही कर लें।
तुरंत खत्म करें काम
‘फुर्सत’ शब्द किसी काम को टालने का ही दूसरा नाम है। जब आप किसी काम को करने की इच्छुक नहीं होती, तभी आप कहती हैं कि यह काम फुर्सत में करूंगी जबकि हकीकत यह है कि वह फुर्सत कभी आती ही नहीं। अत: हाथ के काम तुरंत करने पर कम वक्त लेते हैं। जैसे जूठी प्लेटें, डाइनिंग टेबल और किचन स्टैंड साफ करना।
एक समय, दो काम
दो कामों को साथ में करने की कोशिश करें। एक बार यदि आपको इसकी आदत हो गई तो वक्त की कमी कभी महसूस ही नहीं होगी। एक साथ दो काम करने का मतलब है कि जब तक सफाई करें, सब्जी को पकने के लिए रख दें।
सीखें सहायता लेना
‘एक से भले दो’ कहावत तो आपने सुनी ही होगी। यदि आप अकेले काम करने के बजाय परिवार के सदस्यों की सहायता लेंगी तो आपका काम जल्दी और आसानी से होगा। यदि आप सोचती हैं कि पति और बच्चों से काम में मदद न लेकर आप उन पर अतिरिक्त प्रेम दिखा रही हैं तो यह धारणा बदल डालिए। बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार जिम्मेदारी सौंपें। कुछ दिन बाद काम बदल दीजिए ताकि वे बोर न हों।