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क्यों झूक जाती है  बुजुर्गों की पीठ? इस उम्र में होता है कूबड़ निकलने का ज्यादा डर

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 10 Oct, 2024 01:47 PM
क्यों झूक जाती है  बुजुर्गों की पीठ? इस उम्र में होता है कूबड़ निकलने का ज्यादा डर

नारी डेस्क: उम्र बढ़ने के साथ-साथ बुजुर्गों की तकलीफें भी बढ़ती जाती हैं। बुजुर्ग लोगों की पीठ में झुकाव या कूबड़ (हाइपरकायफोसिस) एक आम समस्या बन गई है।  यह झुकाव रीढ़ की हड्डी के प्राकृतिक संरेखण में बदलाव और मांसपेशियों की कमजोरी के कारण होता है। आइए इस समस्या के कारण, इसके विकसित होने की उम्र, और इसके इलाज पर चर्चा करते हैं। 

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 पीठ में झुकाव के मुख्य कारण

ऑस्टियोपोरोसिस: यह एक स्थिति है, जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें घनत्व (डेंसिटी) कम हो जाता है। इससे रीढ़ की हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ता है, और इसके परिणामस्वरूप पीठ में झुकाव आने लगता है।
   
पोस्टुरल समस्याएं: उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और व्यक्ति सही मुद्रा (पोश्चर) को बनाए रखने में असमर्थ हो जाता है। खराब पोश्चर से रीढ़ की हड्डियों में दबाव बढ़ता है, जिससे धीरे-धीरे झुकाव आने लगता है।

मांसपेशियों की कमजोरी: उम्र के साथ शरीर की मांसपेशियां (विशेषकर कोर और पीठ की मांसपेशियां) कमजोर हो जाती हैं। यह मांसपेशियों की कमजोरी शरीर का संरेखण बिगाड़ देती है और पीठ झुकने लगती है।

डिस्क डीजनरेशन: रीढ़ की हड्डियों के बीच की डिस्क उम्र के साथ-साथ पतली और कम लचीली हो जाती हैं, जिससे रीढ़ की लचक कम होती है और झुकाव विकसित होता है।

कायफोसिस (Kyphosis): यह रीढ़ की हड्डी के शीर्ष भाग (थोरैसिक स्पाइन) में अत्यधिक वक्रता है, जो झुके हुए या कूबड़ जैसी मुद्रा में बदल सकती है। यह कई कारणों से हो सकता है, जिनमें ऑस्टियोपोरोसिस, रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर या रीढ़ की डिस्क का डीजेनेरेशन शामिल है।

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कब आती हे ये समस्या

पीठ में झुकाव आमतौर पर 60 वर्ष की उम्र के बाद विकसित होना शुरू होता है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति ऑस्टियोपोरोसिस, कमजोर मांसपेशियों, या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है, तो यह समस्या पहले भी आ सकती है। महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है, खासकर रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद, क्योंकि हड्डियों की घनत्व तेजी से कम होती है।

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बुजुर्गों की पीठ में झुकाव का इलाज

व्यायाम और फिजियोथेरेपी:  नियमित रूप से रीढ़ की हड्डी के स्ट्रेचिंग और मजबूती वाले व्यायाम करने से पीठ की मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है और झुकाव को कम किया जा सकता है। फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह के अनुसार पीठ, कंधे और कोर मसल्स को मजबूत करने वाले व्यायाम किए जा सकते हैं। योग और ताई ची जैसे व्यायामों से शरीर की मुद्रा में सुधार होता है और संतुलन और लचीलापन बढ़ता है।

कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट्स:  हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी की पूर्ति जरूरी है। इनकी कमी से ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है, जिससे हड्डियां कमजोर होकर झुक सकती हैं।
   
पोस्चर सुधारना: सही पोस्चर को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। पीठ सीधी रखना, लंबे समय तक एक ही मुद्रा में न बैठना, और रीढ़ की सही स्थिति बनाए रखने के लिए उचित चेयर या सपोर्ट का उपयोग करना आवश्यक है।
   
ऑर्थोपेडिक सपोर्ट: रीढ़ की हड्डी को सही स्थिति में रखने के लिए सपोर्ट बेल्ट्स या ऑर्थोपेडिक ब्रेसेस का उपयोग किया जा सकता है। ये ब्रेसेस पीठ को सहारा देते हैं और कूबड़ को कम करने में मदद करते हैं।

मेडिकल ट्रीटमेंट: अगर समस्या अधिक गंभीर है, तो डॉक्टर बोन डेंसिटी को बढ़ाने वाली दवाइयों  या इंजेक्शनों की सलाह दे सकते हैं। ये दवाइयाँ हड्डियों की कमजोरी को रोकने में मदद करती हैं।यदि रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है और यह झुकाव का कारण बनता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।

रोकथाम

- नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि बनाए रखना और अपने मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत रखना पीठ के झुकाव से बचने में मदद कर सकता है।
- सही पोस्चर का अभ्यास करें और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए पर्याप्त पोषण लें।
-बुजुर्गों की पीठ में झुकाव एक सामान्य समस्या है, लेकिन इसे नियमित व्यायाम, सही पोस्चर, और उचित पोषण के माध्यम से नियंत्रित और रोका जा सकता है।
 

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