‘न्यूरोलॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार अमेरिका का 7 में से 1 व्यक्ति स्लीप ड्रंकननैस नामक व्याधि से पीड़ित है । हालांकि यह अध्ययन सिर्फ एक देश तक ही सीमित है परंतु इस व्याधि की कोई भौगोलिक सीमाएं नहीं हैं और विश्व के किसी भी हिस्से में रहने वाला व्यक्ति इससे पीड़ित हो सकता है ।
श्री बालाजी एक्शन मैडीकल इंस्टीच्यूट के मनोवैज्ञानिक डा. अनीश बवेजा कहते हैं, ‘‘स्लीप ड्रंकननैस एक ऐसी व्याधि है जिसमें व्यक्ति पूरी तरह जागने में मुश्किल महसूस करता है । इसके साथ ही उसमें चौकन्नापन भी कम होता है, वह दिग्भ्रमित होता है और कन्फ्यूजन में रहता है । यह व्याधि उस हद तक जा सकती है जिसमें व्यक्ति यदि एकदम जागता है तो बहुत ही हिंसक व्यवहार दिखा सकता है । यह तब होता है जब व्यक्ति या तो बहुत अधिक नींद लेता है या बहुत कम। ’’
स्लीप ड्रंकननैस से बचाव
एशियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंसिज फरीदाबाद के सीनियर कंसल्टैंट डाक्टर मानव मनचंदा कहते हैं, ‘‘यह काफी परेशान करने वाली समस्या है क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति की संज्ञानात्मक योग्यताएं नहीं होतीं । कल्पना करें कि कोई पायलट या निर्माण मजदूर कोई काम करने से पहले जागने के समय स्लीप ड्रंकननैस की स्थिति में खुद को महसूस करे । कई बार इस स्थिति में व्यक्ति हिंसक हो सकते हैं । कई व्यक्तियों में यह स्थिति 5 से लेकर15 मिनट तक हो सकती है ।
स्लीप ड्रंकननैस को रोकने के लिए आपको यह यकीनी बनाना पड़ेगा कि ऐसी स्थिति वाला व्यक्ति मशीन को ऑप्रेट करने से 15 मिनट पहले जाग जाए और इस बात के प्रति पूरी तरह जागरूक हो कि वह क्या कर रहा है । यह स्थिति डिप्रैशन या निद्रा संबंधी अन्य समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों में बहुत आम देखी जाती है । इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति एंटी डिप्रैसैंट्स का सेवन करते हैं उनमें भी स्लीप ड्रंकननैस की समस्या हो सकती है । इसका हल आमतौर पर एक डाक्टर के पास जाने से ही मिल सकता है जो जीवनशैली संबंधी कुछ परिवर्तनों या निद्रा संबंधी किन्हीं दवाइयों का सुझाव दे सकता है।’’
निद्रा संबंधी व्याधियों की किस्में
स्लीप ड्रंकननैस के अलावा कई ऐसी व्याधियां हैं जिनसे कोई व्यक्ति पीड़ित हो सकता है । पुष्पांजलि क्रोसले अस्पताल के सीनियर कंसल्टैंट डा. विपुल मिश्रा कहते हैं, ‘‘ऐसी स्थितियां तब पैदा होती हैं जब सामान्य नींद में से जागने के चक्र में बाधा पैदा होती है । इसका कारण शारीरिक रोग, मैडीकल व्याधियां, मनोवैज्ञानिक समस्याएं, पर्यावरणीय कारक और यहां तक कि जैनेटिक मामले भी हो सकते हैं । निद्रा संबंधी बीमारियों में अनिद्रा सबसे आम बीमारी है ।’’
डा. अनीश बवेजा कहते हैं, ‘‘अस्थमा, हृदय रोग, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीका तथा गठिए जैसी व्याधियां आपकी निद्रा की रूटीन को अपसैट कर सकती हैं । डिप्रैशन, बेचैनी तथा दौरे अनिद्रा के कारण हो सकते हैं । इसके अतिरिक्त अल्कोहल तथा ड्रग्स का सेवन भी अनिद्रा का कारण बनता है ।’’
व्यक्ति की उम्र के अनुसार निद्रा संबंधी कई व्याधियां हो सकती हैं । बच्चों में पाई जाने वाली निद्रा संबंधी व्याधियों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया सिंड्रोम, पीरियोडिक लिम्ब मूवमैंट डिसऑर्डर, डिलेड स्लीप फेका सिंड्रोम, रैस्टलैस लैग्ज सिंड्रोम, नार्कोलैप्सी तथा पैरासोम्नियां जैसी बीमारियां शामिल हैं । ऐसी स्थिति में बच्चे या किसी व्यक्ति के निद्रा संबंधी पैट्रन्स को देखते हुए डाक्टर से सलाह लेना उचित होता है ।
व्यस्कों के मामले में निद्रा संबंधी व्याधियों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया सिंड्रोम, अपर एयरवे रजिस्टैंस सिंड्रोम, पीरियोडिक लिम्ब मूवमैंट्स डिसऑर्डर, शिफ्ट वर्क, स्लीप डिसऑर्डर, रैस्टलैस लैग्ज सिंड्रोम, इनसोम्निया, नार्कोलैप्सी तथा इडियोपैथिक हाइपर सोम्निया शामिल हैं । जब ऐसी स्थिति गंभीर हो जाए तो ड्रग ट्रीटमैंट्स लेना बढिय़ा रहता है परंतु कुछ चीजें आप घर पर भी कर सकते हैं जैसे सोने से पहले अधिक मात्रा में भोजन करने से बचना तथा नियमित तौर पर कसरत करना । यदि आपका डाक्टर आपको नींद की गोलियों का सुझाव देता है तो व्यक्ति को चार हफ्ते से अधिक इनका सेवन नहीं करना चाहिए । अधिक आयु वाले लोगों में आब्सट्रक्टिव स्लीप एप्रिया सिंड्रोम, पीरियोडिक लिम्ब मूवमैंट्स डिसऑर्डर, एडवांस्ड फेज स्लीप सिंड्रोम, आर.ई.एम. स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर, रैस्टलैस लैग्ज सिंड्रोम के साथ-साथ इनसोम्निया जैसी समस्याएं हो सकती हैं ।
ऐसी परिस्थितियों में कोग्निटिव थैरेपी तथा स्लीप रैस्ट्रिक्शन थैरेपी काफी प्रभावी रहती है । इसके साथ ही नींद संबंधी कुछ अच्छी आदतें जैसे शराब तथा कैफीन के सेवन से बचना भी बढ़िया रहता है । निद्रा संबंधी एक अच्छी रूटीन तथा लगातार कसरत भी अन्य उपचारों के साथ होनी चाहिए ।
समस्या पैदा करने वाले कारक
- अल्सर के दर्द जैसी शारीरिक गड़बड़ियां
- अस्थमा जैसी मैडीकल समस्याएं
- डिप्रैशन तथा बेचैनी जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याएं
- अल्कोहल का सेवन करने जैसे वातावरणीय कारक
- डिप्रैशन या गंभीर तनाव के कारण भी इनसोम्निया हो सकता है।
- जॉब का चले जाना या बदलना, किसी प्रियजन की मृत्यु, कोई बीमारी, अत्यधिक शोर या तापमान जैसी वातावरणीय स्थितियां जो तनाव पैदा करती हैं उससे भी गंभीर अनिद्रा पैदा हो सकती है ।
जैनेटिक्स
अध्ययनकर्ताओं ने नार्कोलैप्सी का जैनेटिक आधार भी खोजा है । यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो नींद तथा जागृत अवस्था के नियंत्रण को प्रभावित करता है ।
नाइट शिफ्ट वर्क
जो लोग रात को काम करते हैं उन्हें अक्सर निद्रा संबंधी व्याधियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि जब वह खुद को थका हुआ महसूस करते हैं तो वे सो नहीं सकते। उनकी गतिविधियां उनके बायोलॉजिकल क्लॉक के विपरीत होती हैं ।
मैडीकेशंस
कई ड्रग्स भी आपकी नींद में बाधा पैदा कर सकती हैं जैसे कुछ एंटीडिप्रैसैंट्स, ब्लड प्रैशर संबंधी दवाएं तथा बाजार में मिलने वाली जुकाम संबंधी दवाएं।
एजिंग
65 वर्ष की आयु से ऊपर वाले वयस्क लोगों में से 50 प्रतिशत में निद्रा संबंधी कोई न कोई व्याधि मौजूद होती है । यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसा उम्र के कारण होता है या फिर उन दवाइयों के कारण जो वृद्ध आम तौर पर इस्तेमाल करते हैं।